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ना रिश्ता,ना वास्ता,ना ही मोबाइल नंबर वोह फिर भी जहन में आजाते हैं

में और मेरी तन्हाईयाँ जब भी आपस मे बात करते हैं
कॉलेज के दिनों में दिमाग पर छाए चेहरे याद आते हैं
उस उम्र में तरसाने वाले चेहरे खासुलखास
इस उम्र की तन्हाइयों में भी तड़पा जाते हैं
ना रिश्ता,ना वास्ता,ना ही मोबाइल नंबर
झल्ला वोह फिर भी जहन में आ जाते हैं