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पैगामे इश्क खतो किताबत का मोहताज नहीं, हवाओं के पत्ते अहसास की स्याही बस काफी है

इश्क का पैगाम किसी खतो किताबत का मोहताज नहीं
इसे पहुँचाने के लिए एक अहसास एक लम्हा ही काफी है
हवाओं के पत्ते अहसास की स्याही बस इतना काफी है
पत्ते पीपल के हों या ताड़ के रकीबों का डर लगा रहता है