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रकीब का कबूलनामा,खुदारा ये कैसा तलाक है?

ज़िंदगी बेवफ़ा है बचपन से सुनते आये हैं
तुमने भी बेवफाई की,ताज्जुब की बात है
रिश्ते नही निभाए,दुनिया का दस्तूर है
रकीब का कबूलनामा,ये कैसा तलाक है?