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प्री नर्सरी के बच्चों के लिए दीक्षांत समारोह मनाया

किड्स गार्डन प्ले स्कूल[ब्रह्म पुरी ] में आज प्री नर्सरी के बच्चों का दीक्षांत समारोह मनाया गया इस अवसर पर संजय शर्मा ने बच्चों को प्रोग्रेस कार्ड वितरित किये|और एक ट्राफी देकर ब

प्री नर्सरी के बच्चों के लिए दीक्षांत समारोह मनाया

प्री नर्सरी के बच्चों के लिए दीक्षांत समारोह मनाया

च्चों का हौंसला बढाया

आम आदमी पार्टी के बिजली+ पानी आन्दोलन के साथ आम के साथ ख़ास[वी आई पी] भी जुड़ने लगे हैं

आम आदमी पार्टी के बिजली+ पानी आन्दोलन के साथ अब आम आदमी के साथ ख़ास लोग भी जुड़ने लगे हैं|पार्टी प्रवक्ता के अनुसार अति विशिष्ठ लोगों ने भी सविनय अवज्ञा आन्दोलन को समर्थन देना शुरू कर दिया है|अति विशिष्ठ लोगों की जारी की गई लिस्ट में निम्न लोग शामिल हैं:
[१]जस्टिस कृष्णा अय्यर [२]एडमिरल[पूर्व] रामडॉस[३]एडमिरल [पूर्व]ताहिलियानी[४] पूर्व मुख्य चुनाव अधिकारी जे एम् लिग्दोह[५]डा.पी एम् भार्गव [एन के सी][६]पूर्व चीफ सेक्रेटरी एम् पी एस सी बेहर[७] पुर्व चेयर मैन ऐ ई आर बी डा. ऐ के गोपाल कृष्णन[८]पूर्व पावर सचिवई ऐ एस सरमा [९]डा. बिनायक सेन [१०]एस पी उदयकुमार[११]जे एन यु के अमित भादुरी[१२] ग्रीन पीस से जुड़ी ललिता राम दास[१३] पूर्व राजदूत मधु भादुरी[१४] पीपल साईंस के रवि चोपड़ा[ १५] कमल जसवाल और प्रफ़ुल्ल|
अरविन्द केजरीवाल द्वारा छेड़ा गया सविनय अवज्ञा आन्दोलन के साथ जुड़ने वाले असहयोगियों द्वारा जो

प्रपत्र साईन किया जा रहा है उसका हिंदी रुपंतार्ण इस प्रकार है

:अरविन्द केजरीवाल बिजली पानी के मुद्दों पर सविनय अवज्ञा और असहयोग आन्दोलन का आह्वान करते हुए 23 मार्च से अनिश्चितकालीन उपवास पर हैं। दिल्ली में बिजली-पानी के बिल निजी कंपनियों और सरकार की मिली-भगत से बढ़ाये गए है।
अरविन्द केजरीवाल ने दस्तावेज़ों के जरिये ये खुलासा किया भी किया है। ये कंपनियां बिजली उपकरण अपनी ही सहयोगी कंपनियों से ऊंचे दामों पर खरीद रही है और इससे होने वाले नुकसान की भरपाई लोगों के बिल बढ़ाकर की जा रही है, बिजली बिलों के भुगतान से हुई कमाई को कम करके दिखाया जा रहा है और अतिरिक्त बिजली को अपनी ही कंपनियों को कम दाम पर बेचकर बनावटी नुकसान दिखाया जा रहा है। (जानकारी के लिए :
इस अंधी लूट पर सत्ता पक्ष और निजी कंपनियों के इस भ्रष्ट गठबंधन पर विपक्ष भी बरसो से चुप्पी साधे था। इस निर्मम लूट पर अकेले पड़े आम आदमी का मनोबल बढ़ने के लिए सितम्बर में आम आदमी से आवाहन किया था कि बिजली पानी दिल्ली की जनता का है इसलिए ये नाजायज़ बिल देने बंद किये जाये.
जब इस भ्रष्टाचार को रोकने की हर कोशिश बेकार रही तो अरविन्द केजरीवाल ने असहयोग आन्दोलन शुरू कर दिल्ली के लोगों से अपील की कि वो बिजली और पानी के नाजायज़ बिल तब तक न भरें जब तक बिजली और पानी की सप्लाई में हुए घोटाले की CAG से जांच न कराई जाय और बिजली के बढ़े हुए दामों को कम करके जायज़ स्तर पर नहीं लाया जाए। गाँधी जी ने कहा था कि जब नियम और कानून नाजायज़ और आम लोगों को दमन करने वाले हों तो ये जनता का अधिकार भी है और कर्तव्य भी है कि वो ऐसे नियम और कानूनों को मानने से इंकार कर दें। दिल्ली की जनता पहले ही महंगाई की मार झेल रही है और बढ़े हुए बिल चुकाने में असमर्थ हैं इसलिए उन्हें भी कानून की अवमानना के अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। जनता अपने इस अधिकार का इस्तेमाल अहिंसात्मक तरीके से कर रही है और इसके नतीजे और जुर्माना भुगतने के लिए तैयार है।
इन परिस्तिथियों में हम इस असहयोग आन्दोलन को अपना समर्थन देते हैं। हम दिल्ली सरकार और सम्बंधित विभागों से मांग करते हैं कि इस आन्दोलन के जरिये सामने लाई गई बिजली और पानी के बिलों की समस्या पर ध्यान दें और उन्हें सुधारने की दिशा में तुरंत कार्यवाही करें।

पार्टी द्वारा जारीउपवासी नेता के स्वास्थ्य रिपोर्ट

के अनुसार स्वास्थय में गिरावट जारी है मगर यूरिन में कीटोन की मात्रा संतोषजनक होने से हेल्थ स्टेबल है |
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[ २९ मार्च२०१३] [२८ मार्च 2013] [ २७ मार्च २०१३]
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[१] ब्लड प्रेशर १०८/66 ======== ==== १२० /७४ ======== ११४ /७०
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[२]पल्स===========६७ === ==== =६६ ==== ७४
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[३]शुगर=========== १२३=== ===== 106 === १०८
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[४] यूरिन में कीटों[ketone] २+========== ===== =३+ === ४+
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[५]वजन ============५९ क ग ============== ====== ५९.५ क ग ======
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आम आदमी पार्टी की आवाज पर दिल्ली सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों की संख्या पौने चार लाख हुई

आम आदमी पार्टी की आवाज पर दिल्ली सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों की संख्या पौने चार लाख हुई

आम आदमी पार्टी की आवाज पर दिल्ली सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों की संख्या पौने चार लाख हुई

आम आदमी पार्टी की मुहीम रंग लाने लगी है|पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविन्द केजरीवाल के उपवास के सातवें दिन में प्रवेश के साथ ही दिल्ली की सरकार के विरुद्ध असहयोगियों की संख्या 3,75,040. हो गई है|पार्टी प्रवक्ता ऐ, मुरलीधरण के अनुसार असहयोग केन्द्रों पर सव्यम सेवकों[वालंटीयर्स] की संख्या निरंतर बढ रही है|२६४ केन्द्रों के अलावा ३००० वालंटीयर्स ने अपने घरों को मिनी असहयोग केंद्र बनाने की घोषणा कर दी है| इन घरों में भी दिल्ली सरकार के विरुद्ध भरे जाने वाले फार्म उपलब्ध होंगे|गौरतलब है कि दिल्ली में बिजली पानी के बिलों में बेतहाशा वृद्धि के विरुद्ध अरविन्द केजरीवाल २३ मार्च से सुन्दर नगरी में उपवास पर है|

साच कहूँ सुन लेहो सबै जिन प्रेम कियो तिनही प्रभु पायो

साच कहूँ सुन लेहो सबै जिन प्रेम कियो तिनही प्रभु पायो

साच कहूँ सुन लेहो सबै जिन प्रेम कियो तिनही प्रभु पायो

हमारे जीवन में प्रेम का विशेष महत्त्व है मन मंदिर में प्रेम भाव उत्पन्न करके ही प्रभु को पाया जा सकता है|इस विषय पर हमारे महा पुरुषों ने भी कहा है कि हमारी आत्मा प्रेम का स्वरूप है और प्रभु को पाने का साधन भी प्रेम है । जितने साधन , पूजा – पाठ आदि हम करते हैं , इसीलिए करते हैं कि हमारे अंतर में प्रभु के लिए प्यार बने। यह सब करते हुए प्रभु का प्यार नहीं जागा तो क्या फायदा ?
” सद साल इबादत कुनद नमाज़ी नेस्त
कसे को इश्क नदारद खुद राज़ी नेस्त ”
अर्थात सौ साल इबादत करता रहे , वह सही मायनों में नमाजी नहीं बन सकता । जिसके अंतर में प्रभु का प्रेम नहीं उभरा , वह प्रभु के भेद को कैसे पा सकता है ?
दसम गुरु साहब ने फ़रमाया –
” साच कहूँ सुन लेहो सबै जिन प्रेम कियो तिनही प्रभु पायो ।
गुरु गोबिंद सिंह जी की वाणी ,
प्रस्तुति राकेश खुराना

गुजरात में अमेरिकी आये नरेन्द्र मोदी की मेहमाननवाजी की तारीफ़ की फिर खाए पीये और खिसक लिए


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया मुबारकां| ओये अमेरिका भी आ ही गया अपने नरेन्द्र मोदी के नीचे |भारत भ्रमण पर आये अमेरिकियों ने अपना झुकाव गुजरात के मुख्‍यमंत्री मोदी की तरफ दर्शा दिया|इस अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में आये यूएस कांग्रेस के सदस्‍य ऐरन शॉक ने हसाड़े स्टार नेता मोदी को अमेरिका आने के लिये न्‍योता भी दे दिया है |ऐरन इलि‍नोइस के प्रतिनिधि ऐरन शॉक ने मीडिया से बातचीत में भी कहा कि मोदी ने गुजरात के शैक्षिक एवं सामाजिक स्‍तर को काफी ऊपर उठाया है, इसकी उन्होंने सराहना भी की है| ओये अब तो हो जायेगी बल्ले बल्ले और बाकि सारे थल्ले थल्ले

 गुजरात में अमेरिकी आये नरेन्द्र मोदी की मेहमाननवाजी की तारीफ़ की फिर खाए पीये और खिसक लिए

गुजरात में अमेरिकी आये नरेन्द्र मोदी की मेहमाननवाजी की तारीफ़ की फिर खाए पीये और खिसक लिए

झल्ला

हाँ सेठ जी कहा गया है कि घर का जोगी जोगना ही रहता है जबकि बाहर का सिद्ध कहलाता है|अब बाहर देश बोले तो अमेरिका ने भी मोदी के लेस गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस के सिद्धांत को मान लिया है नेशनल इंडियन अमेरिकन पब्लिक पॉलिसी संस्‍थान द्वारा आयोजित टूर में आये इन अमेरिकियों ने आप जी के नरेन्द्र मोदी को न्यौता देकर मोदी का मान बेशक बढाया है लेकिन अमेरिका से न्यौता के साथ वीजा मिलने पर ही मोदी को सिद्ध कहा जा सकेगा| वरना तो यही कहा जाएगा कि

अमेरिकी आये खाए पीये और खिसक लिए

एल के अडवाणी के ब्लाग से :न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति इमरजेंसी से भी ज्यादा घातक

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने अपने ब्लॉग में वर्तमान न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे लोक तंत्र के लिए इमरजेंसी कल से भी ज्यादा घातक बताया है उन्होंने इस कॉलिजियम पध्दति की पुनरीक्षा की जरूरत पर बल दिया है|इस ब्लाग में श्री अडवाणी ने टेलपीस नही दिया है
प्रस्तुत है एल के अडवाणी के ब्लाग से एक वरिष्ठ पत्रकार की चिंता
भारत को स्वतंत्र हुए 65 से ज्यादा वर्ष हो गए हैं। यदि कोई मुझसे पूछे कि साढ़े छ: दशकों की इस अवधि में देश की सर्वाधिक बड़ी उपलब्धि क्या रही है, तो निस्संकोच मेरा जवाब होगा : लोकतंत्र।

एल के अडवाणी के ब्लाग से :न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति इमरजेंसी से भी ज्यादा घातक

एल के अडवाणी के ब्लाग से :न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति इमरजेंसी से भी ज्यादा घातक

हम गरीबी, निरक्षरता और कुपोषण पर विजय नहीं पा सके हैं। लेकिन पश्चिमी विद्वानों के प्रचंड निराशावाद के विपरीत 1947 के बाद से औपनिवेशिक दासता से मुक्त होने वाले देशों में विशेष रूप से भारत जीवंत और बहुदलीय लोकतंत्र बना हुआ है।
यह भी सत्य है कि 1975-77 के आपातकाल की अवधि के दो वर्ष का कालखण्ड एक काले धब्बे की तरह है, जब कानून का शासन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की अन्य जरूरी विशेषताओं पर ग्रहण लग गया था।
मेरा मानना है कि 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय जिसने न केवल प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी के चुनाव को अवैध करार दिया था अपितु उनके 6 वर्षों तक कोई भी चुनाव लड़ने पर रोक लगाई थी, की आड़ में सत्ता में बैठे लोगों ने हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा प्रदत्त लोकतंत्र को ही समाप्त करने का गंभीर प्रयास किया।
पं. नेहरू द्वारा शुरू किये गये नई दिल्ली से प्रकाशित दैनिक समाचार-पत्र नेशनल हेराल्ड ने तंजानिया जैसे अफ्रीकी देशों में लागू एकदलीय प्रणाली की प्रशंसा करते हुए एक सम्पादकीय लिखा:
जरूरी नहीं कि वेस्टमिनिस्टर मॉडल सबसे उत्तम मॉडल हो और कई अफ्रीकी देशों ने इस बात का प्रदर्शन कर दिया है कि लोकतंत्र का बाहरी स्वरूप कुछ भी हो, जनता की आवाज का महत्व बना रहेगा। एक मजबूत केन्द्र की आवश्यकता पर जोर देकर प्रधानमंत्री ने भारतीय लोकतंत्र की शक्ति की ओर संकेत किया है। एक कमजोर केंद्र होने से देश की एकता, अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा को खतरा पहुंच सकता है। उन्होंने एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है : यदि देश की स्वतंत्रता कायम नहीं रह सकती तो लोकतंत्र कैसे कायम रह सकता है?
दो सदियों के ब्रिटिश राज में भी अभिव्यक्ति के अधिकार को इतनी निर्ममता से नहीं कुचला गया जितना कि 1975-77 के आपातकाल के दौरान। 1,10,806 लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया, जिनमें 253 पत्रकार थे।
इस सबके बावजूद यदि लोकतंत्र जीवित है तो इसका श्रेय मुख्य रूप से मैं दो कारणों को दूंगा: पहला, न्यायपालिका; और दूसरा मतदाताओं को जिन्होंने 1977 में कांग्रेस पार्टी को इतनी कठोरता से दण्डित किया कि कोई भी सरकार आपातकाल के प्रावधान का दुरूपयोग करने की हिम्मत नहीं कर पाएगी जैसा कि 1975 में किया गया।
सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं, सांसदों इत्यादि को आपातकाल में मीसा-आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने वाले कानून-के तहत बंदी बना लिया गया था। इनमें जयप्रकाश नारायण के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, चन्द्रशेखरजी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता भी थे। कुल मिलाकर मीसाबंदियों की संख्या 34,988 थी। कानून के तहत मीसाबंदियों को कोई राहत नहीं मिल सकती थी।
सभी मीसाबंदियों ने अपने-अपने राज्यों के उच्च न्यायालयों में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की हुई थी। सभी स्थानों पर सरकार ने एक सी आपत्ति उठाई: आपातकाल में सभी मौलिक अधिकार निलम्बित हैं और इसलिए किसी बंदी को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। लगभग सभी उच्च न्यायालयों ने सरकारी आपत्ति को रद्द करते हुए याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिए। सरकार ने इसके विरोध में न केवल सर्वोच्च न्यायालय में अपील की अपितु उसने इन याचिकाओं की अनुमति देने वाले न्यायाधीशों को दण्डित भी किया। अपने बंदीकाल के दौरान मैं जो डायरी लिखता था उसमें मैंने 19 न्यायाधीशों के नाम दर्ज किए हैं जिनको एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में इसलिए स्थानांतरित किया गया कि उन्होंने सरकार के खिलाफ निर्णय दिया था!
16 दिसम्बर, 1975 की मेरी डायरी के अनुसार:
सर्वोच्च न्यायालय मीसाबन्दियों के पक्ष में दिये गये उच्च न्यायालय के फैसलों के विरूध्द भारत सरकार की अपील सुनवाई कर रहा है। इसमें हमारा केस (चार सांसद जो एक संसदीय समिति की बैठक हेतु बंगलौर गए थे लेकिन उन्हें वहां बंदी बना लिया गया) भी है। न्यायमूर्ति खन्ना ने निरेन डे से पूछा कि : संविधान की धारा 21 में केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं बल्कि जिंदा रहने के अधिकार का भी उल्लेख है। क्या महान्यायवादी का यह भी अभिमत है कि चूंकि इस धारा को निलंबित कर दिया गया है और यह न्यायसंगत नहीं है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति मार डाला जाता है तो भी इसका कोई संवैधानिक इलाज नहीं है? निरेन डे ने उत्तर दिया कि : ”मेरा विवेक झकझोरता है, पर कानूनी स्थिति यही है।”
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के अधिकांश न्यायाधीशों ने बाद में स्वीकारा कि उक्त कुख्यात केस में फैसला गलत था। इनमें से कई ने सार्वजनिक रूप् से अपने विचारों को प्रकट किया।
सन् 2011 में, सर्वोच्च न्यायालय ने औपचारिक रुप से घोषित किया कि सन् 1976 में इस अदालत की संवैधानिक पीठ द्वारा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला केस में दिया गया निर्णय ”त्रुटिपूर्ण‘ था, चूंकि बहुमत निर्णय ”इस देश में बहुसंख्यक लोगों के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करता है,” और यह कि न्यायमूर्ति खन्ना का असहमति वाला निर्णय देश का कानून बन गया है।
इन दिनों देश में सर्वाधिक चर्चा का विषय भ्रष्टाचार है। एक समय था जब भ्रष्टाचार की बात कार्यपालिका-राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के संदर्भ में की जाती थी। कोई भी न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की बात नहीं करता था, विशेषकर उच्च न्यायपालिका के बारे में तो नही ही।
परन्तु हाल ही के वर्षों में इसमें बदलाव आया है। सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्व न्यायाधीश रूमा पाल ने नवम्बर, 2011 में तारकुण्डे स्मृति व्याख्यानमाला में बोलते हुए ”न्यायाधीशों के सात घातक पापों” को गिनाया। इनमें भ्रष्टाचार भी एक था।
अपने भाषण में उन्होंने कहा कि यह मानना कि आजकल न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, भी ”न्यायपालिका की स्वतंत्रता की विश्वसनीयता के लिए उतना ही हानिकारक है जितना कि भ्रष्टाचार।”
मैं अक्सर इस पर आश्चर्य व्यक्त करता हूं कि यदि जून 1975 जैसी स्थिति आज देखने को मिले तो न्यायपालिका की प्रतिक्रिया कैसी होगी। क्या उच्च न्यायालयों के कम से कम 19 न्यायाधीश मीसाबंदियों के पक्ष में निर्णय कर कार्यपालिका की नाराजगी मोल लेने का साहस जुटा पाएंगे? सचमुच में मुझे संदेह है।
कालान्तर में, चयनित न्यायाधीशों के स्तर के सम्बन्ध में काफी बदलाव आया है जब रूमा पाल ने न्यायाधीशों के सात पापों के बारे में बोला तो, स्वयं एक सम्मानित न्यायविद् होने के नाते उन्होंने अपने भाषण में जानबूझकर यह चेतावनी जोड़ी कि वह ”सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित” होकर बोल रही हैं।
वर्तमान में, न्यायिक नियुक्तियों और न्यायाधीशों के तबादले – भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की एक समिति जिसे ‘कॉलिजियम‘ कहा जाता है, द्वारा किए जाते हैं। इस कॉलिजियम प्रणाली की जड़ें तीन न्यायिक फैसलों (1993, 1994 और 1998) में निहित हैं। इनमें से पहला और दूसरा निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा ने दिया। फ्रंटलाइन पत्रिका (10 अक्तूबर, 2008) को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा ”सन् 1993 का मेरा निर्णय जिसका हवाला दिया जाता है को बहुत ज्यादा गलत समझा गया, दुरूपयोग किया गया। यह उस संदर्भ में कहा गया कि कुछ समय से निर्णयों की कार्यपध्दति के बारे में जो गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं उन्हें गलत नहीं कहा जा सकता। इसलिए पुनर्विचार जैसा कुछ होना चाहिए।”
सन् 2008 में, विधि आयोग ने अपनी 214वीं रिपोर्ट में विभिन्न देशों की स्थितियों का विश्लेषण करते हुए कहा: ”अन्य सभी संविधानों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में या तो कार्यपालिका एकमात्र प्राधिकरण्ा है या कार्यपालिका मुख्य न्यायाधीशों की सलाह से न्यायधीशों की नियुक्ति करती है। भारतीय संविधान दूसरी प्रणाली का अवलम्बन करता है। हालांकि, दूसरा निर्णय कार्यपालिका को पूर्णतया विलोपित अथवा बाहर करता है।”
‘फ्रंटलाइन‘ में प्रकाशित न्यायमूर्ति वर्मा के साक्षात्कार को उदृत करते हुए विधि आयोग लिखता है: ”भारतीय संविधान अनुच्छेद 124 (2) और 217(1) के तहत नियंत्रण और संतुलन की सुंदर पध्दति का प्रावधान करता है कि सर्वोच्च न्यायालयों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका और न्यायपालिका की संतुलित भूमिका का उल्लेख है। यही समय है कि अधिकारों के संतुलन का वास्तविक स्वरुप पुर्नस्थापित किया जाए।”
हम, विश्व का सर्वाधिक बड़ा लोकतंत्र हैं जिसमें स्वाभाविक रुप से आशा की जाती है कि कम से कम उच्च न्यायिक पदों से जुड़ी नियुक्तियां पारदर्शी, निष्पक्ष और योग्यता आधारित पध्दति से हों। तारकुण्डे स्मृति व्याख्यानमाला में न्यायमूर्ति रुमा पाल ने टिप्पणी की कि ”सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया देश में सर्वाधिक रुप में गुप्त रखे जाने वाला विषय है।”
उन्होंने कहा कि ”इस प्रक्रिया की ‘रहस्यात्मकता‘ जिस छोटे से समूह से यह चयन किया जाता है और बरती जाने वाली ‘गुप्तता और गोपनीयता‘ सुनिश्चित करती है कि ‘अवसरों पर प्रक्रिया में गलत नियुक्तियां हो जाती हैं और इससे ज्यादा अपने आप को भाईभतीजावाद में फंसा देती हैं।”
वे कहती हैं कि एक अविवेकपूर्ण टिप्पणी या अनायास अफवाह ही पद के लिए किसी व्यक्ति की दृष्टव्य सुयोग्यता को बाहर कर सकती है। उनके अनुसार मित्रता और एहसान कभी-कभी अनुशंसाओं को सार्थक बना देते हैं।

दिल कहता है कि देश जरुर बदलेगा और यह आवाज दिलों तक पहुंचेगी :अरविन्द केजरीवाल

उपवास के छठे दिन आज आप पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि सरकार के भय को दिल्ली वालों के दिल से समाप्त किये बगैर वोह चैन से नहीं बैठेंगे|उन्होंने समर्थकों को एड्रेस करते हुए कहा कि जब सच्चे दिल से आवाज निकलती है तो अपने आप घर घर हर दिल तक पहुँच जाती है| मेरा दिल कहता है देश जरुर बदलेगा |
सुन्दर नगरी में उपवास पर बैठे आप के नेता अरविन्द केजरीवाल ने आज भाजपा और कांग्रेस पर भी निशाना साधा उन्होंने कहा कि ये दोनों पार्टियां बदलाव की बयार से परेशान हैं|अभी तक ये दल बाहु बल और मनी के बल पर चुनाव जीत कर आते रहे हैं लेकिन अब एक तरह का चुनाव होगा|और यह चुनाव महज चुनाव नहीं बल्कि क्रांति होगी|

दिल कहता है कि देश जरुर बदलेगा और यह आवाज दिलों तक पहुंचेगी :अरविन्द केजरीवाल

दिल कहता है कि देश जरुर बदलेगा और यह आवाज दिलों तक पहुंचेगी :अरविन्द केजरीवाल

इस अवसर पर किसान नेता गुरनाम सिंह ने बताया कि हरियाणा में किसानो ने बिजली १४ साल से बिजली के बिल देने बंद कर रखे हैं|मनीष शिशोदिया ने कहा कि मध्य प्रदेश में ८०० गावों ने बिजली के बिलों को देना बंद किया हुआ है| इन नेताओं ने दिल्ली के नागरिकों को भी एक जुट होकर बिजली पानी के अनाप शनाप बिलों को नहीं देने को प्रेरित किया |
आप के प्रवक्ता के अनुसार होली के बाद कार्यकर्ताओं ने और जोशो खरोश से जन संपर्क अभियान तेज कर दिया है| नार्थ वेस्ट के मुन्द्का में ट्रेक्टर पर ओसतन २५० समर्थक प्रति दिनके हिसाब से जुटाए जा रहे हैं| करावल में एक पोलिस कांस्टेबिल ने आन्दोलन के लिए लगातार दो दिन कार्य करने का ऐलान किया | बताया गया है कि ७००० कार्यकर्ताओं द्वारा पूरी दिल्ली में जन संपर्क में जुटे हैं इनके अलावा पड़ोसी राज्यों से भी स्वयम सेवक आने लग गए हैं|अभी तक इनकी संख्या ५०० बताई गई है|

पोलिस ने आज होली मनाई

पोलिस ने आज होली मनाई

पोलिस ने आज होली मनाई

मेरठ की पोलिस ने आज होली मनाई दरअसल होली पर पोलिस वाले कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए त्यौहार में भी ड्यूटी पर होते है इसीलिए होली के अगले दिन अर्थात आज होली मानी गई|प्रस्तुत है महिला थाना आदि में मनाई गई होली के कुछ द्रश्य

मेरठ में प्रशासन के होली मिलन की कुछ झलकियाँ

[ मेरठ] के टाप प्रशासनिक अधिकारियों ने आज होली मिलन का आयोजन किया इस अवसर पर राजनीतिकों ने भी गले मिल कर प्रशासन और नेताओं में दूरी कम करने का प्रयास किया |भाजपा +बसपा+कांग्रेस के नेता एक दूसरे के बगलगीर हुए और होली की मुबारकें बांटी|फोटो का विवरण निम्न है
[१[भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर लक्ष्मी कान्त वाजपई
[२]बसपा के राज मंत्री शाहिद मंजूर जिलाधिकारी और कमिश्नर के साथ
[३] शाहिद मंजूर+पोलिस कप्तान और व्यापारी नेता नगीन चंद जैन
[४] भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल +कमेला किंग युसूफ कुरैशी
[५] कुरैशी और

मेरठ में प्रशासन के होली मिलन की कुछ झलकियाँ

मेरठ में प्रशासन के होली मिलन की कुछ झलकियाँ

वाजपई

अरविन्द केजरीवाल के उपवास के छठे दिन स्वास्थ्य गिरा : पल्स रेट में गिरावट HEALTH OF ARVIND KEJRIWAL DETERIORATED

आम आदमी पार्टी[आप ] के सर्वोच्च नेता के उपवास का छठा दिन है आज सुबह के हेल्थ बुलेटिन में डाक्टरों की टीम ने उपवास पर बैठे नेता के हेल्थ की जांच की | आप के नेता के स्वास्थ्य में गिरावट नोट की| शुगर+किटों और पल्स में बीते दिन के मुकाबिले आज सुबह गिरावट दर्ज़ की गई है| पार्टी का दावा है के बेशक अरविन्द केजरीवाल का स्वास्थ्य गिर रहा है मगर भ्रस्टाचार के विरुद्ध लड़ाई के लिए उनका हौंसला बुलंद है और उनके असहयोग आन्दोलन के साथ जुड़ने वालों की संख्या में लगातार बढोत्तरी हो रही है| बीते दिन का रिकार्ड २.६९ ४२३ है|पार्टी के दावे के अनुसार दिल्ली के निवासियों का सरकार के विरुद्ध अब जुड़ना शुरू हो गया है और यही इस उपवास का उद्देश्य भी है|

अरविन्द केजरीवाल के उपवास के छठे दिन स्वास्थ्य गिरा : पल्स रेट में गिरावट

अरविन्द केजरीवाल के उपवास के छठे दिन स्वास्थ्य गिरा : पल्स रेट में गिरावट

28 march 2013 27march २०१३
[१] ब्लड प्रेशर ========१२० /७४ ======== ११४ /७०
[२]पल्स==============६६ ७४
[३]शुगर==============१०६ =१०८
[४] यूरिन में कीटोंKetone==3+ ==============4+
[५]वजन ============================५९.५ के जी