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आमजन के लिए 1947 के काला अगस्त 21 के अगस्त में और स्याह हो गया

झल्लीगल्लां

भजपाईचेयरलीडर

ओए झल्लेया!

ये क्या हो रहा है? ओये सबसे वडडे लोकतंत्र के महान संसद की महत्वपूर्ण कार्यवाही को चाटपापड़ीं और ढोकला बता कर मजाक उड़ाया जा रहा है।मानसून सत्र में महत्वपूर्ण समस्यायों पर चर्चा ही नही हो पा रही । अगर अपनी जासूसी से त्रस्त सांसदों की आपसी दूरियां यूं ही बढ़ती रही तो हमारी समस्यायों का कौन समाधान निकालेगा ? किसानों को राहत कैसे मिलेगी?? कोरोना के खिलाफ जंग कैसे अंतिम मुकाम तक पहुंचेगी???

झल्ला

चतुर सेठ जी!

आपके प्रधान सेवक जी ने भी विपक्ष के व्यवहार को देश और लोकतंत्र का अपमान बता कर पल्ला झाड़ लिया ।मानसून सत्र में कैक्टस रूपी तीन बिल पास करा कर सीना ठोक  लिया। आमजन की समस्या 1947 के काले अगस्त से शुरू हुई जो 2021 के काले अगस्त में और स्याह हो गई

1947 के हजारों रिफ्यूजी आज भी अपने हक के रिहैबिलिटेशन क्लेम के लिए दर दर भटक रहे है लेकिन हसाडे अलिकुली संसद ठप्प करने में महारत हासिल करने में जुटे है।