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एक गाँधी,शास्त्री ढूंढो तो मिलते कई हज़ारों हज़ार हैं तभी लाल बेजार,मोहन लाचार आकाश में भी हर पल रो रहे जार जार है

मोहन के दास कर्म के आकाश में चाँद बन कर चमके तभी गाँधी बने
लाल जब बहादुर हुए तभी दुनिया भर में लाल बहादुर शास्त्री बन तने
मौजूदा दौर में एक गाँधी,शास्त्री ढूंढो तो मिलते कई हज़ारों हज़ार हैं
सोणे ते मन मोहणे पी एम् भी बेचारे इनके सामने बेजार है लाचार हैं
लाल बेजार,मोहन लाचार आकाश में भी हर पल रो रहे जार जार है
उनके नाम पर देश में लूट और आपस में रुकती नही जूतम पैजार है देश को बनाने वाले बचाने वाले दोनों ही लाखों टिकटों पर छप कर महज चिपके दरों दिवार है