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कांग्रेस ने कैग पर भी किया कडा रुख

कोयला खंड आवंटन मामले में घिरी सरकार अब भाजपा के साथ साथ संवैधानिक संस्था कैग पर भी आक्रामक हो गई है।कपिल सिब्बल ने कैग की कोयला रिपोर्ट पर प्रहार करते हुए कैग रिपोर्ट में भाजपा का हाथ होने का संदेह व्यक्त किया है|
श्री सिब्बल ने कहा कि पहले भी भाजपा एक आडिटर को पुरुस्कृत कर चुकी है|इसीलिए आडिटर कि रिपोर्ट को दूध का धुला नहीं कहा जा सकता |कैग को पवित्र गाय [होली काऊ] मानने से भी इनकार कर दिया |उन्होंने कहा कि जब प्रधान मंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे एक इमानदार कि आलोचना हो सकती है तब कैग कि आलोचना क्यूं नहीं हो सकती
पी एम् के संकट मौचक के रूप में प्रकट हुए टेलीकाम मंत्री कपिल सिब्बल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि इन दिनों भाजपा संवैधानिक संस्थाओं पर प्रहार को लेकर हमारे ऊपर आरोप लगा रही है। जबकि, 2004 में राजग सरकार के समय सेंटूर होटल घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग पर भाजपा ने नुकसान के आकलन की कैग की प्रक्रिया पर खुद सवाल उठाए थे। तब अरुण शौरी विनिवेश मंत्री थे।
2001 में ताबूत खरीद पर कैग की रिपोर्ट आई थी तो अरुण जेटली ने कहा था, ‘कैग ने अफवाहों के आधार पर आकलन किया है।
तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडिस ने तो कैग पर अनैतिक तरीके से काम करने तक की बात कह डाली थी। सिब्बल ने कहा कि भाजपा को अपना इतिहास नहीं भूलना चाहिए।
मानव संसाधन विकास मंत्री श्री सिब्बल ने विपक्ष के नेता अरुण जेटली से पूछा कि जब वे[भाजपा] सत्ता में (1998 से 2004 तक) थे तो किस पारदर्शी प्रक्रिया से कोयला आवंटन हुआ? उस समय तो स्क्रीनिंग कमेटी और जांच के बिना ही कोयला लाइसेंस दे दिए गए और अब हम कहते हैं कैग रिपोर्ट पर संसद में चर्चा करो तो नहीं करते।
सिब्बल ने कहा, ‘भाजपा का यही चरित्र है। देश तोड़ो-सत्ता पाओ। वे देश के बारे में नहीं सोचते। निराशा में सारी कोशिशें 2014 में किसी तरह केंद्र की सत्ता में आने की हैं। फिर भी हम उनसे अपील करते हैं| संसद में आओ+सवाल पूछो+जवाब मिलेगा। लोकतंत्र में इसके सिवा कोई और रास्ता नहीं होता।