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मोदीभापे !समाधि तुम्हारी टूटे बस इसका ही इंतज़ार है

मोदीभापे!

दिलकेफफोले

विभाजनविभीषिकास्मृतिदिवस

हम अपने दिल के फफोले किसे दिखाएं?,

अपने सिसकते दिल की टीस किसे सुनाएं?

गोवर्धन पर्वत से तुम्हारे हाथ कब फारिग हों

समाधि तुम्हारी टूटे बस इसका ही इंतज़ार है