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नितीश कुमार का “त्यागी” वाला रोल क्या बिहारवासियों को ही हज़म हो पायेगा ?

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

जनता दल[यू] का चीयर लीडर

ओये झल्लेया मानता है न हसाडे सोणे नितीश कुमार जी को |ओये उन्होंने बिहार से लोक सभा के चुनावों में पार्टी की हार के लिए खुद ही नैतिक जिम्मेदारी उठाई और मुख्य मंत्री पद का त्याग करके भारतीय राजनीती के इतिहास में एक नया सुनहरा त्यागमय अध्याय जोड़ दिया है

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजान जी इसे त्याग नहीं राजनीती कहते हैं|सत्ता पर काबिज होते हुए इन चुनावों में २० सीटें गंवाने के बाद बिहार का तख्त भी तो स्वाभाविक रूप से खतरे में पड़ गया है | भाजपा से अलग होने का निर्णय नितीश कुमार के लिए आत्मघाती निर्णय साबित हुआ है |पहले कभी रेल दुर्घटना के कारण रेल मंत्रालय त्याग कर सकारात्मक सुर्खियां बटोरने वाले नितीश कुमार के लिए अब तो नकारात्मक टिपणियां ही आणी हैं+११६ विधायकों वाली पार्टी टूट जानी है+लालू प्रसाद यादव+राम विलास पासवान और सुशील मोदी के वार तीखे हो जाने हैं| कांग्रेस का चार विधायकों का सहयोग भी किसी काम का नहीं रहा| एल के अडवाणी का आशीर्वाद भी नहीं मिलेगा | ऐसे में “त्यागी” वाली भूमिका बिहार वासियों को ही हजम नही होगी