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पी एम् साहब पैसा पेड़ों पर ही उगता है: एल के आडवानी के ब्लॉग से:

यूं पी ऐ के वयोवृद्ध शीर्ष नेता एल के आडवानी ने अपने एक ब्लाग के टेलपीस में रोचकता के साथ खुदरा व्यापार में ऍफ़ डी आई की वकील पी एम् की टिपण्णी पर कटाक्ष किया है| प्रस्तुत है ब्लाग का टेल पीस : ***खुदरा में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश सम्बन्धी अपने फैसले के बचाव में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को सम्बोधित करने सम्बन्धी भाषण में इस टिप्पणी कि ”पैसा पेड़ों पर नहीं उगता” पर बहुत सी दिलचस्प टिप्पणियां की जा रही हैं।मेरे सहयोगी जसवंत सिंह जो एक सेवानिवृत सैन्य अधिकारी हैं, द्वारा ‘दि हिन्दू‘ (28 सितम्बर, 2012) में एक लेख लिखा गया है, जिसमें उनके अपने टैंक-चालक से हुई बातचीत का उल्लेख है। जसवंत सिंह जी का लेख मुझे काफी ज्ञानप्रद लगा। उनके चालक के साथ हुई बातचीत वाला पैराग्राफ मुझे आज के ब्लॉग के टेलपीस के लिए उपयुक्त लगा।
इस आश्चर्य जनक, अनावश्यक फटकार के एक दिन बाद ही अब सेवानिवृत सैनिक मेरे टैंक-चालक का फोन आया जो मेरे साथ कई वर्षों तक टैंक के साथ झुके हुए स्थान पर रातें काट चुका है। मैंने उसका नाम शायद इसलिए छुपा रखा है कि कोई अकुशल इंटेलीजेंस ब्यूरो उसे तंग न करे। अपनी ठेठ शेखावटी बोली और लहजे में बोला ”साहिब” कृपया प्रधानमंत्री को बताओ कि पैसा वास्तव में पेड़ो और पौधों पर ही उगता है; हमें सभी फल, सब्जियां और पशुओं का चारा तथा ईंधन भी एक ‘पेड़‘ से मिलता है। इसलिए उन्हें बताइए कि वह किसानों के बारे में सोचें, न कि उन ‘विदेशियों‘ के बारे में जो दो शताब्दी पूर्व एक कम्पनी के रुप में आए और हमारी जमीन ले ली। एक ‘बिस्वा‘ भी हमारे लिए नहीं छोड़ा।” मैंने उससे वायदा किया कि मैं ऐसा ही करुंगा लेकिन उसको सलाह दी कि वह ऐसे निराशाजनक विचारों से अपने सेवानिवृत जीवन को बिगाड़े नहीं और जैसे हमारे ‘ढाबों‘ ने अमेरिका के मगरुर केटंचुरी के कर्नल को परास्त किया वैसे ही भारत इसे भी परास्त कर देगा। और इस किस्से का एक शब्द भी बनावटी नहीं है।

एल के आडवानी के ब्लॉग से: पैसा पेड़ों पर ही उगता है