झल्लीगल्लां
उत्सवप्रेमी
ओए झल्लेया!फाल्गुनी शुक्लपक्ष में हर तरफ होली की मस्ती छाई है।मन हुआ मृदंग ,कामदेव ठोक रहा ताल
हर तरफ मस्ती छाई है।ओए होलिका दहन की तैयारी कर लो। प्रह्लाद को बचाने के लिए होलिका को फूंकना जरूरी है।सुना है इस त्यौहार से वातावरण में बैक्टेरिया को समाप्त हो जाते हैं।ओए कोरोनासुरों का भी नाश हो जाना है
झल्ला आजकल तो गूलर+दार+पलाश+खैर+पीपल+शमी+दूबकी लकड़ी छोड़ो कुश भी नही नसीब होता।ये सभी देसी घी और उपलों संग जल कर बैकटीरिया नष्ट करते हैं।अब तो जो मिला उसी से ही ओपचारिकता निभा ली जाती है।वैसे विष्णु जी झूठ ना बुलवाएं।आजकल की होलिकाएँ भी राजनीति सीख गई हैं इन्हें जनता रूपी प्रह्लाद को फूंक कर बच निकलने में महारथ हासिल है