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मध्यप्रदेश सरकार ने १७वे दिन मानी जलसत्याग्राहियों की मांगें

अपनी जमीन के लिए ५१ ग्रामीण १७ दिनों से पानी में खड़े होकर लड़ाई लड़ रहे हैं|आज जाकर उनकी आवाज़ केंद्र और मध्यप्रदेश के कर्णधारों तक पहुंची है|मुख्यमंत्री ने ९० दिनों में सारी समस्याओं को सुलझाने का आश्वासन दे दिया है|
राज्य के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खंडवा और हरदा जिले में जल सत्याग्रह कर रहे किसानों को जमीन के बदले जमीन देने का प्रस्ताव दिया है।लेकिन इसके लिए ग्रामीणों द्वारा लिया गया मुआवजा उन्हें लौटना होगा| आज एक प्रेस कांफ्रेंस में सीएम ने इस बाबत एक कमिटी बनाने का भी ऐलान किया है,| यह कमिटी अगले 3 महीने में रिपोर्ट देगी।
सीएम के इस ऑफर के बाद नर्मदा दूब से प्रभावित लोग जल सत्याग्रह वापस ले सकते हैं।फिलहाल जल स्तर कम होने तक जल सत्याग्रही जल में रहने की बात कह रहे हैं|
सोमवार को मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जल सत्याग्रह कर रहे किसानों को जमीन के बदले जमीन का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि जो किसान मुआवजे की राशि का 50 फीसदी लौटाएंगे, उन्हें जमीन के बदले जमीन दे दी जायेगी | यही नहीं ओंकारेश्वर बांध की ऊंचाई भी 189 मीटर से अधिक नहीं होगी।गौरतलब है की यह ऊंचाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से भी कम है|
खंडवा जिले के घोघलगांव, बड़खलिया और हरदा जिले के खरदाना में नर्मदा के दूब प्रभावितों द्वारा जल सत्याग्रह किया जा रहा है। इनका कहना है कि बाँध कि ऊंचाई से उनके गावं पानी में ड़ूब गए हैं और मुआवजे कि ५ एकड़ जमीन भी नहीं दी गई है| इस बीच उनके पैरों और हाथों पर वाटर बाउंड बीमारियों के अलावा मच्छी और कछुओं के काटे का प्रभाव भी पड़ रहा है| शुक्रवार को सीएम ने राज्य सरकार के दो मंत्रियों को सत्याग्रह स्थल पर जाकर आंदोलनकारियों से बातचीत के निर्देश दिए थे। शनिवार को उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और कुंवर विजय शाह सत्याग्रह स्थल पर पहुंचे और आंदोलनकारियों से बातचीत की। आज केंद्र सरकार के प्रतिनिधि मंडल के आगमन की सूचना भी दी गई है|
लगता है उसके बाद ही सरकार ने यह कदम उठाया है।
मध्य प्रदेश का यह भी कहना है कि इस कदम से बिजली उत्पादन [१२०म व् ]कम होगा और बड़े हिस्से में जमीन की सिंचाई भी प्रभावित होगी|