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ममताविहीन सोनिया की चलेगी अब मनमोहन सरकार

केबिनेट और रेल मंत्री मुकुल राय सहित टी एम् सी कोटे के छहों मंत्रिओं ने आज प्रधान मंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह के निवास पर ४ बजे इस्तीफा सौंप दिया| इसके उपरान्त अपने प्रदेश और खुद के सहयोग से बने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को चिट्ठी सौंप कर केंद्र सरकार से पुर्व घोषित समर्थन भी विड्रा किया| राष्ट्रपति भवन से बाहर आकार इन्होने पत्रकारों को ओपचारिक जानकारी दी | लेकिन प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति से उनकी कया बातचीत हुई उसे गोपनीय रखा गया है| अब टी एम् सी के १९ सांसदों के सरकार से बाहर आजाने से केंद्र सरकार के अल्पमत में आ जाने का दावा करते हुए बड़े फैसलें लेने पर रोक लगाये जाने की मांग के साथ फ्लोर आफ दी हाउस पर मेजोरिटी साबित करने की मांग उठ रही है|
इसके जवाब में कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल, दोनों ने आत्मविश्वास के साथ आज फिर दोहराया है कि तृणमूल के 19 सांसदों के बाहर हो जाने के बाद भी सरकार के पास 545 सदस्यीय लोकसभा में बहुमत के लिए आवश्यक संख्या बल है।श्री बंसल ने एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहा कि हमारे पास पर्याप्त संख्या बल है।केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने भी ३०० सांसदों के समर्थन का दावा किया है| वित्त मंत्री पी चिदम्बरम कल से कह रहे हैं कि उनके पास पर्याप्त दोस्त हैं|
बेशक १९ सांसदों वाली टी एम् सी सरकार से बाहर हो गई है मगर अभी तक २१ सांसदों वाली बी एस पी और २२ सांसदों वाली एस पी ने अपनी सपोर्ट विड्रा नहीं की है कल तक जो ऍफ़ डी आई +डीजल+गैस को लेकर देश भर में केंद्र सरकार के खिलाफ हड़ताल में अग्रणी भूमिका में थे आज उसी मुलायम सिंह यादव ने साफ कहा है की २२ सांसदों वाली एस पी का सपोर्ट पहले भी कांग्रेस के साथ था और आज भी है|१९ गए २२ सांसद आये इसी एक जुमले से केंद्र सरकार बच गई है|
अब सवाल उठता है कि सत्ता में शामिल एक बड़े घटक[टी एम् सी] के बाहर होजाने पर क्या फ्लोर आफ दी हाउस पर शक्ति परीक्षण जरुर हो जाता है? शायद इन परिस्थितियों में तो जरुरी नहीं लगता|बेशक बाहर से ही सही मगर सपा और बसपा ने पहले से ही समर्थन दिया हुआ है और सत्ता रुड के विरुद्ध कहीं से भी संख्या बल ज्यादा नहीं दिख रहा जाहिर है सरकार कहीं नहीं जा रही |संविधानविद सुभाष कश्यप ने भी एक चेनल पर अपनी राय प्रगट करते हुए कहा है कि जब तक सरकार के खिलाफ विपक्ष के पास संख्या बल हो तभी संसद में शक्ति परीक्षण के लिए विशेष हाउस बुलाया जा सकता है|शायद इसीलिए इसी उत्साह से भरे केंद्र सरकार ने कडाई से ऍफ़ डी आई के लिए अधिसूचना जारी कर दी है इससे शेयर बाज़ार भी संभल गया है| राजनीतिक पंडितों का कहना है कि केंद्र सरकार के इन सुधारात्मक रास्तों में सबसे बड़े रोड़े के रूप में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और सुश्री ममता बेनर्जी को याद किया जाता है अब चूंकि प्रणव मुख़र्जी राष्ट्रपति बन गए हैं और ममता खुद ही बहार निकल गई है सो डाक्टर मन मोहन सिंह की सरकार इन सुधारात्मक रास्तों पर अब कम से कम बजट सत्र तक तो सरपट दौड़ेगी| और २०१४ में चुनावों में सीना ठोक कर कह सकेगी कि हम ना तो दब्बू हैं और नाही फिसड्डी हैं हमने जो कहा करके दिखा दिया