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माननीय सांसदों और सोश्लाईट्स ने आपस में पाले बदले


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक सामान्य नागरिक

ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है?इन माननीय सांसदों ने और सोश्लाईट्स ने आपस में पाले बदल लिए हैं क्या ?
सोश्लाईट्स के सडकों पर हो रहे आन्दोलनों से बौखला कर ये माननीय सांसद कहते थे कि संसद लोक तंत्र का मंदिर है
संसद सर्वोपर्री है | जो भी फैसला होगा संसद में ही होगा |इसीलिए संसद के फैसले सडकों पर नहीं लिए जा सकते |
अब यही सांसद स्वयम संसद के गेट पर अलिगढ़िया ताला लगा कर सडकों पर कोयले कि लड़ाई लड़ने के लिए ताल ठोंक
रहे हैं|ओये जिन लोगों को ये संसद में आने को उकसा रहे थे वोह सोश्लाईट्स अब सड़क की लड़ाई संसद में लड़ने कि तैय्यारी
करने लग गए है|कांग्रेस और भाजपा दो प्रमुख पार्टियाँ हैं|इन दोनों ने पहले संसद को स्थगित करवा कर मीडिया में लड़ाई लड़ी
अब मीडिया से सडकों पर जाने कि घोषणा कर दी है|

झल्ला

भापा जी मेरे भोले भाले भाप जी फूटबाल के मैच में हाफ टाईम के बाद जिस तरह से दोनों टीमे अपना अपना छेत्र रक्षण [गोल]
की अदला बदली कर लेती हैं ठीक उसी तरह सोश्लाईट्स और सांसदों ने भी अपने अपने गोल आपस में बदल लिए हैं|एक्सचेंज कर लिए हैं|
हाँ आप जी ने जो संसद पर अलिगढ़िये ताले की बात कही है तो माननीय सांसद अगर संसद छोड़ कर सड़क पर उतरेंगे तो ये सोश्लईट्स
संसद में घुस कर नहीं बैठ जायेंगे