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मोदीभापे !घनी रात के साथी क्यूँ बिछड़ते जा रहे

#मोदीभापे
हुक्मरां हो सो नए वक्ती दोस्त मुबारक तुमको
जो खास ते कभी वो बस खाक हो के रह गए
चड़ते सूरज को हर सियासी करता है सलाम
घनी रात के थे जो साथी ,क्यूँ बिछड़ते जा रहे
#कंपनसेशन/#रिहैबिलिटेशन क्लेम की लूट
#PMOPG/E/2016/0125052