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मोदीभापे !जो जलाते थे दीया हमारे तेल से,वो कमल खिलाने को दलदल तलाशते हैं

#मोदीभापे
सियासत का भी अपना मजहब अजीब है
इबादत का ढर्रा हुक्मरां रोज बदल लेते हैं
जो जलाते थे अपना दीया हमारे तेल से
वोही कमल खिलाने को दलदल तलाशते हैं
#कंपनसेशन/#रिहैबिलिटेशन क्लेम की सरकारी लूट
#PMOPG/E/2016/0125052