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राष्‍ट्रपति ने छात्रों को लोकतंत्र से जुड़ने और नैतिक अशांति को दूर करने के लिए शिक्षा लाभांश देने का गुरुमंत्र दिया

राष्‍ट्रपति ने छात्रों को लोकतंत्र से जुड़ने और नैतिक अशांति को दूर करने के लिए शिक्षा लाभांश देने का गुरुमंत्र दिया
राष्‍ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने आज जोधपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान के प्रथम दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबांधित करते हुए कहा कि वे न सिर्फ अपने पेशे में एक मूल्‍यवान संपत्ति हैं बल्कि राष्‍ट्र की बौद्धिक संपदा भी हैं। उन्‍होंने कहा कि वे एक पुरानी सभ्‍यता से जन्‍में नए राष्‍ट्र की शिक्षा पद्धति का मूल हैं। राष्‍ट्रपति ने कहा कि उन्‍हें देश के लोकतांत्रिक मूल्‍यों को पूरी तरह से समझना चाहिए।
इस अवसर पर श्री मुखर्जी ने कहा कि देश के प्रशासन और राष्‍ट्रीय महत्‍व के मुद्दों के प्रति छात्रों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए। राष्‍ट्रपति ने कहा कि छात्रों को इन मुद्दों के बारे में पढ़ना+ जानना और अपने विचारों को प्रकट भी करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि एक स्‍वस्‍थ लोकतंत्र में सभी की भागीदारी होनी चाहिए। राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने भारत के सुंदर और जटिल लोकतंत्र में छात्रों से शामिल होने का आह्वान भी किया। उन्‍होंने कहा कि बेहतर नागरिक बनने के मामले में उन्‍हें राष्‍ट्र की मदद करनी चाहिए, ऐसे नागरिक, जो अपने अधिकारों और उत्‍तरदायित्‍वों को समझ सकें। राष्‍ट्रपति ने छात्रों से दुनिया का नेतृत्‍व करके इसे बदलने को कहा ताकि भारत गौरवान्वित हो सके।
राष्‍ट्रपति ने उच्चतर शिक्षा के विस्तार और सदुपयोग पर कहा कि उच्‍चतर शिक्षा की पहुंच का अधिकार कुछ खास लोगों तक ही नहीं होना चाहिए बल्कि इसके लिए देश भर में गुणवत्‍तायुक्‍त शैक्षिक संस्‍थानों की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े हुए प्रतिभाशाली छात्रों की शिक्षा तक पहुंच बनाने के लिए योजनाओं को कार्यान्वित किया जाना चाहिए। उच्‍चतर शिक्षा तक युवाओं की पहुंच से देश में प्रशिक्षित और कुशल मानव श्रम सामने आएगा और यह देश की अर्थव्‍यवस्‍था को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाने में एक स्रोत का काम करेगा। राष्‍ट्रपति ने विद्यार्थियों से कमजोर, जरूरतमंद और वंचित लोगों की मदद करने को कहा
भारत के राष्‍ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा है कि वे इस बात को स्‍पष्‍ट रूप से समझें कि उनके लिए शिक्षा का अर्थ क्‍या है। उन्‍हें यह बात समझनी चाहिए कि क्‍या अच्‍छा पेशेवर करियर ही जीवन का सब कुछ है या सफलता का अर्थ कुछ और है।
श्री मुखर्जी ने कहा कि विद्यार्थियों को यह समझना चाहिए कि उनकी शिक्षा में स्रोत, प्रयास और योगदान का महत्‍व क्‍या है। समाज ने उनमें निवेश किया है और विद्यार्थियों से यह अपेक्षा उचित है कि वे समाज को लाभांश दें। उन्‍होंने कहा कि विद्यार्थी यह लाभांश समाज के कमजोर, जरूरतमंद और वंचित लोगों की सहायता कर अदा कर सकते हैं।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थियों में सामाजिक मूल्‍य और सामाजिक प्रतिबद्धता की भावना भरी जानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि आज के भारत में नैतिक अशांति है और यह अशांति हमें याद दिलाती है कि आगे हमारा कर्तव्‍य क्‍या है। उन्‍होंने कहा कि समाज के मूल्‍यों में आई गिरावट की स्थिति बदलनी होगी। इसके लिए हमें विद्यार्थियों में मातृ‍भूमि के प्रति प्‍यार, कर्तव्‍यपरायणता, करुणा, सहिष्‍णुता, कामकाज में ईमानदारी, अनुशासन की भावना विकसित करनी होगी।
फोटो The President, Shri Pranab Mukherjee addressing at the Second Convocation of the Central University of Rajasthan, at Kishangarh, in Rajasthan on July 09, 2013.