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संसद के मानसून सत्र की बर्बादी नहीं इन्वेस्टमेंट है =भजपा

संसद के मानसून सत्र की बर्बादी के लिए भाजपा ने अपना बचाव करते हुए कहा की यह बर्बादी नहीं वरन इन्वेस्टमेंट है|संसद के बाद भाजपा ने प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी स्थिति स्पष्ट की और संसद की लड़ाई को सडकों पर ले जाने की घोषणा की| लोक सभा में एन डी ऐ की नेता सुषमा स्वराज और राज्य सभा के नेता अरुण जेटली ने कहा की बेशक संसद को बाधित करके कुछ करोड़ का नुकसान हुआ है मगर कोयला खंडों के रीसेल से अरबों रुपयों का राजस्व देश को मिलेगा|
उन्होंने संसद की कार्यवाही का खुलासा करते हुए बताया की पहले हफ्ते में कोकराझाड़ में हिंसा और उसके बाद पूर्वोत्तर छेत्रो के लोगों का पलायन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई और संसद एक जुट दिखाई दी|गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के पलायन पर सुओ मोटो पड़ने की बात कह कर इस मामले की गंभीरता को समाप्त कर दिया|इसके पश्चात कैग की रिपोर्ट आ गई|इस पर पार्टी ने पी एम् के इस्तीफे के साथ निष्पक्ष जांच और कोयला खंडों के आवंटन को तत्काल रद्द किये जाने की मांग की |ये तीनो मांगें मानने से सरकार ने इंकार कर दिया तब पार्टी के पास सदन की ओपचारिक कार्यवाही को बाधित करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा|
पार्टी न्रेत्त्व को सभा चलने देने के लिए आग्रह किया गया मगर भजपा की मांगें मानने से इनकार किया गया|
चर्चा नहीं किये जाने पर पार्टी का स्टेंड स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कीधारा १९१+१८४ या कार्यस्थगन प्रस्ताव पर बहस हो सकती थी |[१]१९३ के अंतर्गत केवल वाक् और टाक आउट हो कर बात खत्म कर दी जाती है|[२]१८४ के अंतर्गत मतदान कराया जाता है इसमें सरकार के पास आंकड़ों का संख्याबल है और उनकी जीत निश्चित है|अब बहुमत से लूट का लायसेंस नहीं मिल जाता |स्पीकर मीरा कुमार और यूं पी ऐ अध्यक्षा सोनिया गाँधी द्वारा चर्चा कराने के लिए एप्रोच किया गया था \तब पार्टी ने पी एम् के इस्तीफे की मांग पर दबाब कम करके कोयला खंडों के आवंटन रद्द करने और जाँच कराने की मांग की थी मगर कोई बात नहीं मानी गई|
श्रीमति सुषमा और अरुण जेटली ने कहा कि कभी कभी संसद की कार्यवाही को बाधित करना भी देश हित में होता है|२जी को कोडियों के मौल लुटाया गया था तब भीतीन साल पहले पार्टी ने संसद बाधित करके दबाब बनाया था और उसका नतीज़ा है कि आज इसका मिनिमम प्राईज़ दस गुना अधिक फिक्स किया गया है|
श्री जेटली ने पी एम् पर आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है||२००५ में पी एम् ओ द्वारा लिए गए नीलामी सम्बन्धी निर्णय आज २०१२ तक भी लंबित ही हैं|
अरुण जेटली ने तो वाम पन्थिओन की भाषा बोलते हुए कहा कि पूँजीपति वाद को बढावा देने कि नियत से चाँद पूँजीपतिओं में रेवादियों कि तरह कोयला ब्लाक्स बाँट दिए गए|सत्यता अब सामने आ रही है|[१]कांग्रेस के दो एम् पी [२]डीएम के के मंत्री[३]आर जे डी के मंत्री रहे नेताओं के नाम सामने आ चुके है |अभी और खुलासा होना बाकी है|