सत्ता परिवर्तन के साथ ही व्यवस्था भी बदलती है यह अक्षरह राजनितिक सत्य है |आज कल पार्कों में तो यही सत्य दिखाई दे रहा है|
मेरठ के गंगानगर में सपा सरकार ने कभी दो पार्क आमने सामने बनवा कर शिलापट लगवाये थे |सपा सरकार चली गई और समय के थपेड़ों से ये पार्क महज़ चार दीवारी बन कर ही रह गए \फिर बसपा आई इस सरकार की प्राथमिकता मूर्तियों की स्थापना था सो एक पार्क का चयन हुआ इसमें खूबसूरत मूर्तियाँ लगवाई गई फव्वारे +झूले और झरना आदि बनवाये गए \लगभग सवा करोड़ की लागत आई बताई गई है|इन मूर्तियों में हाथी या सुश्री मायावती की मूर्ति नहीं है\
शायद इसीलिए झरने और फव्वारे चलते कभी दिखाई नहीं दिए मगर पार्क प्रेमियों की संख्या दिनों दिन बढने लगी योगा की दो दो बैच लग रहे हैं |सुरक्षा कर्मी और बाहर खाद्य पदार्थों वाले लगभग २० लोगों को रोज़गार भी मिल गया|
सरकार फिर बदल गई मायावती के अलावा बाबा भीम राव आंबेडकर की मूर्तियाँ भी तोडी जा रही है जांच बिठाई जा रही है अब जांच की आंच इस पार्क तक ना आजाये संभवत इसीलिए पार्क के फव्वारे तो चला दिए गए हैं मगर वाटर फाल को चलाने के लिए अभी भी किसी ऊपरी निर्देश की प्रतीक्षा है
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