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“आप”संस्थापक सदस्य शांति भूषण को हरियाणा में चुनावों में भाग नहीं लेने के “पार्टी” निर्णय से ठेस लगी होगी

“आप” संस्थापक सदस्य शांति भूषण को हरियाणा में चुनावों में भाग नहीं लेने के निर्णय से ठेस लगी होगी |
आम आदमी पार्टी[आप] के संस्थापक सदस्य शांति भूषण के आरोपों से पार्टी ने असहमति व्यक्त की है| “आप” पार्टी ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से यह असहमति व्यक्त की है |”आप” पार्टी के अनुसार मूलतः आंतरिक डेमोक्रेसी के आधार पर ही इसका गठन किया गया था इसीलिए संस्थापक सदस्य शांति भूषण द्वारा टी वी चैनल्स पर की गई पार्टी की आलोचना सर्वथा गलत है| दो साल पहले गठित पार्टी अभी विकसित हो रही है और १६ वीं लोक सभा के चुनावों में भी अच्छी उपलब्धि रही है|इसी बलबूते पर अब दिल्ली के इलेक्शंस में उतरने की तैयारी की जा रही है|”आप” के अनुसार हरियाणा में होने वालेचुनावों में भाग नहीं लेने के पार्टी निर्णय से हो सकता है शांति भूषण को ठेस पहुंची हो इसीलिए उन्होंने अपने विचार व्यक्त किये हैं लेकिन चुनावों में नहीं उतरने का यह निर्णय पोलिटिकल अफेयर्स समिति+और नेशनल एग्जीक्यूटिव द्वारा लिया गया था |गौरतलब है कि पूर्व मंत्री शांति भूषण “आप” पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और उन्होंने इसके निर्माण में बढ़ी रकम भी दी थी लेकिन आज वयोवृद्ध श्री भूषण ने “आप” पार्टी के डेमोक्रेटिक ढांचे की आलोचना करते हुए इसके शीर्ष नेता अरविन्द केजरीवाल की न्रेतत्व क्षमता पर प्रश्न चिन्ह लगा दियाऔर इसके लिए उन्होंने पार्टी फोरम नहीं वरन टी वी चैनल्स को चुना |चूँकि अरविन्द केजरीवाल दिल्ली विधान सभा के लिए दोबारा होने वाले चुनावों में भाग लेने के लिए जी तोड़ कौशिश में लगे हैं ऐसे में शांति भूषण की आलोचना से पार्टी की छवि और क्षमता पर असर पढ़ना स्वाभाविक है | सम्भवत इसीलिए पार्टी ने तत्काल यह रेमेडियल बैलेंस्ड वक्तव्य जारी किया है |