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झाड़ू के साथ फोटुएं खिंचवाने में माहिर भाजपा के स्थानीय न्रेतत्व के स्वछता के प्रति समर्पण भाव पर प्रश्न चिन्ह

[मेरठ]झाड़ू के साथ फोटुएं खिंचवाने में माहिर भाजपा के स्थानीय न्रेतत्व के स्वछता समर्पण भाव पर प्रश्न चिन्ह झाड़ू के साथ मीडिया में फोटुएं खिंचवाई +स्वछता अभियान में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई+ ऐसे भाजपा के स्थानीय न्रेतत्व के अपने छेत्रों में त्योहारों पर भी सफाई अव्यवस्था हावी है जिसे लेकर इनकी सफाई के प्रति समर्पण भाव पर प्रश्न चिन्ह लगने शुरू हो गए हैं |जाहिर है कि जब मीडिया में फोटो छपवाने और होर्डिंग लगवाने से ही राष्ट्रीय न्रेतत्व की नजरों में चढ़ा जा सकता है तो गवर्नेन्स दिखा कर पसीना क्यूँ बहाएं ?कौन बहाये ??किसके लिए बहाएं???
अनेकों बार प्रयास करने पर भी मेयर हरिकांत अहलूवालिया और प्रदेश अध्यक्ष डॉ एल के वाजपई से फ़ोन पर सम्पर्क नहीं हो पायाजिसके फलस्वरूप उनका पक्ष नहीं रखा जा सका है|
मेरठ के मेयर हरिकांत अहलूवालिया +कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल +सांसदराजिंदर अग्रवाल +सभी भाजपा के हैं यहाँ तक कि इस राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ लक्ष्मी कांत वाजपई भी मेरठ शहर से विधायक है| हिंदूवादी पार्टी के इतने सारे ध्वजवाहकों के वजूद के बावजूद दिवाली जैसे पावन त्यौहार पर भी गंदगी के ढेर इन नेताओं के स्वच्छ भारत के अभियान में सेंध लगाने के लिए पर्याप्त हैं| स्थानीय नेताओं के ऐसे गवर्नेन्स के फलस्वरूप विधान सभा के लिए हुए उपचुनावों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह का जादू भी फीका ही साबित हुआ |
दीपावली पर्व पर खरीददारी+प्रकाश के साथ सफाई का भी पौराणिक काल से महत्व है |लेकिन सरकारी अफसरों को इसकी अहमियत बता पाने में भाजपा न्रेतत्व नाकाम साबित हो रहा है।पिछले दिनों भाजपा और नगर निगम कर्मियों में द्वन्द युद्ध तक हुआ|अपनी जुबान और हाथों पर काबू खोने वाले भाजपा के समर्थकों की कार्यालय में ही पिटाई भी हुई यहाँ तक दोनों पक्षों में थाना कचहरी जाने की भी स्थिति बन गई|इस अप्रिय स्थिति के पश्चात दोनों पक्षों में समझौता कराने के प्रयासकिये गए |भाजयुमों के कार्यकर्ताओं से माफ़ी मंगवाने पर अड़े कर्मियों ने सफाई के कार्य से हाथ खींच लिए |त्यौहारों के इस मौसम में स्थिति को काबू कराने के लिए भाजपा और प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा कि तरफ से कोई कारगरप्रयासनही किये गए जिसके फलस्वरूप पुराने+नए+शहर में नरक चतुर्थी के पश्चात भी नरक के दृश्य आँखों से ओझल नहीं हो पाये |
आज काल खरीददारी के लिए सड़कें सजी हैं+बाजारों में ग्राहकों की जबरदस्त भीड़ है+रौनक है इसके बावजूद इसके शहर के अनेकों मुख्य मार्गों के साथ अनेकों भागों में गंदगी का साम्राज्य है। इस काले साम्राज्य के खात्मे के लिए नगर निगम में गुड गवर्नेंस सिरे से नदारद है |
अफसरों की शिथिलता और कर्मियों की लापरवाही का अंजाम लोगों को गंदगी के ढेर के रूप में झेलना पढ़ा है | गंगा नगर+ हापुड़ रोड + जैलचुंगी +गढ़ रोड,के साथ ही दिल्ली रोड पर विभिन्न इलाकों में गंदगी के ढेर लगे हैं । कुकुरमुत्तों की भांति उगे खत्ते और उन पर शासन करते बेलगाम पशुओं ने लोगों जीवन नरक बना रखा है | पुराने+ नए शहर में गवर्नेंस अनुपस्थित दिखाई देती है | साकेत एलआइसी+ बच्चा पार्क +रंगोली मंडप जैसे पॉश इलाकों के प्रवेश द्वारों के पास खत्ता साम्राज्य व्यवस्था की बदहाली की कहानी कहने के लिए पर्याप्त है । बुढ़ाना गेट से शाहपीर गेट+शास्त्रीनगर+जागृति विहार +अजंता कालोनी+ दामोदर कालोनी+पंजाबी पुरा+ब्रह्मापुरी आदि में भी गंदगी और कूडे़ के ढेरों के दर्शन किये जा सकते हैं |