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तेलंगाना पर हो रही खूनी सियासत को देख कर,झल्ले मुंह से निकला सबके खुदा प्लीज सबकी खैर करीं

चाहत नहीं है अब महल या फिर माढ़ियों की। बस उतना मिल जाये जितना अपना भर है॥
ये भी नहीं समाज ने कहा वो ही अपना हक़ है । सरकारी एलान पर भी नहीं है कोई शुबहों शक॥
संसद,परिषदों में हंगामे रोज देख कर “झल्ला”। अपना तो पाक साफ़ ईमान तक डोलने है लगा ॥
दशकों पुरानी बात अब नई बन कर उभर आई है। आप बीती सुनो बेशक”झल्ला”होनी जग हंसाई है॥
देश विभाजन में कुनबे दरबदर यहाँ वहाँ से हो गए । मुआवजे की आस लिए पीढ़ियां भी रुखसत हो गईं॥
हुकुमरानों ने अब आंध्रप्रदेश को तक्सीम किया है।सीमांध्र के लिए मोटे पैकेज का एलान किया है ॥
ये और बात है कि १९४७ के पीड़ितों का मुआवजा |अभी भी कागजों के कब्रिस्तानों में ही दफ़न है पड़ा है |
कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है बार बार । नई पीढ़ी की सोच कर ही रूह कांप कांप जाती है॥
तेलंगाना पर हो रही खूनी सियासत को देख कर |पंजाब और हरियाणा में फंसे चंडीगढ़ की याद आती है|
अब हैदराबाद की सोच कर बेसाख्ता मुह से यही निकलता है प्लीज सबके खुदा सबकी खैर खैर खैर करे||