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पल्लम राजू सरीखे १० जनपथीय भक्त दुखदाई को सुखदाई लोक तंत्र बता कर अपने ही पी एम् को आँखे दिखाने लगे

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

निराश कांग्रेसी

ओये झल्लेया ये हसाडे सांसदों की मति मारी गई है क्या ?देख तो कल तक पल्लम राजू सरीखे छुट भैय्ये सोणे प्रधान मंत्री के आगे पीछे चक्कर लगाते थे आज वोही प्रधान मंत्री को ही गालियां देने लग गए हैं अंतरिम रेल बजट के एन टाइम पर सदन में अपने दुर्व्यवहार के लिए माफ़ी तो नहीं माँगी उलटे अफ़सोस जताने वाले अपने ही पी एम को गलत ठहरा रहे हैं
भई पी एम् ने इतना ही तो कहा था कि सदन में सांसदों के हंगामे को देखते हुए उनका दिल खून के आंसू रोता है अरे जब पी एम् के अनुरोध के बावजूद सांसदों ने लड़ाई झगड़ा बंद नहीं किया तो यह पार्टी और देश में लोक तंत्र के लिए दुःख दाई तो होगा ही|इतना कहने पर ही मानव संसाधन विकास के कथित मंत्री पल्लम राजू ने प्रधान मंत्री को ही गलत बता दिया |ऐ तो वोही गल हो गई कि उलटे चोर कोतवाल नूँ ही डांटें

झल्ला

अरे चतुर सुजाण जी रोना तो इस बात का है कि आप जी के ऐसे सारे सांसद ७ रेस कोर्स के बजाय १० जनपथ के प्रति वफादारी दिखाने में माहिर हैं |डूबते जहाज को बेशक तिनके का सहारा तो जरूर होता है मगर २०१४ के चुनावों में बचाव के लिए आशियाने को सहारा देने वाले पत्ते भी हवा के रुख के साथ हो लेते हैं वैसे धर्म से बताना कि यदि ये ही पल्लम साहब किसी १० जन पथीय को आँखे दिखाते तो आप लोग उसे ऐसे ही छोड़ देते ?नहीं नहीं में तो वैसे ही पूछ रहा हूँ