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मुक़द्दस रामजान में इफ्तार दावतों के नाम पर सेकुलरिज्म का ढोंग रचने वालों को”संघ”ने आड़े हाथों लिया

[नयी दिल्ली] मुक़द्दस रामजान के महीने में इफ्तार दावतों के नाम पर सेकुलरिज्म का ढोंग करने वाले नेताओं को राष्ट्रीय सेवक संघ[आर एस एस] ने आड़े हाथों लिया
रमजान के पवित्र महीने में अलग अलग राजनीतिक हस्तियों की ओर से इफ्तार पार्टी देने के चलन है जिसे कोसते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ‘आर्गनाइजर’ ने आज कहा कि इफ्तार पार्टियां तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का ‘प्रतीक’ भर हैं । ऐसी पार्टियां इफ्तार की मूल भावना के भी खिलाफ हैं, जिनमें गरीबों को भोजन कराने के विपरीत ‘‘पेट भरे’’ राजनीतिक मेहमानों को खिलाया जाता है ।
आर्गनाइजर के संपादकीय ‘दि सेक्युलर टोकेनिज्म’ में कहा गया है कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर होने वाली ये रस्म अदायगी हास्यास्पद है और यह ‘प्रतीकवाद’ अल्पसंख्यकवाद को प्रोत्साहित करता है और पहचान की राजनीति को हावी कर भारतीय मूल्यों को कमतर करता है ।
संपादकीय में कहा गया कि राजनीतिक प्रतीकवाद के ऐसे आयोजन में ‘दुआओं और माफी’ का वास्तविक संदेश कहीं पीछे छूट जाता है । यह धर्म का मजाक है । गरीबों और वंचितों को जहां साथ बिठाकर भोजन कराया जाना चाहिए, जहां उनके प्रति रहम और उदारता की उम्मीद रखनी चाहिए, वहीं राजनीतिक नफा नुकसान के लिए पेट भर खाकर आये मेहमानों को रोजा नहीं रखने वाले भोजन कराते हैं । यह हास्यास्पद परंपरा किसी भी धार्मिक रीति रिवाज की भावना के खिलाफ है ।
संपादकीय में कहा गया कि किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा धार्मिक कार्यक्रम करना ठीक है लेकिन धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ऐसे कार्यक्रम को सही ठहराना हास्यास्पद है ।इसमें कहा गया कि दिलचस्प बात यह है कि वोट बैंक की राजनीति को प्रोत्साहित करने के लिए सभी हिन्दू राजनीतिज्ञ ऐसे आयोजन कराते हैं ।