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बुनकरों को सीधे उपभोक्‍ताओ तक पहुँचाने के उद्देश्य से सिल्‍क फैब’ प्रदर्शनी

[नई दिल्ली]बुनकरों को सीधे उपभोक्‍ताओ तक पहुँचाने के उद्देश्य से आज सिल्‍क फैब’ प्रदर्शनी का आयोजन हुआ |इसका उद्देश्‍य हथकरघा बुनकर समुदाय की आय बढ़ाना है।
वस्‍त्र राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने २ नवम्बर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर श्री गंगवार ने कहा कि इस प्रदर्शनी से बुनकरों और उपभोक्‍ताओ के बीच संपर्क बढ़ाने में मदद मिलेगी।
यह प्रदर्शनी वस्‍त्र मंत्रालय के हथकरघा विकास आयुक्‍त कार्यालय द्वारा राष्‍ट्रीय हथकरघा विकास निगम (एनएचडीसी) लिमिटेड के जरिए देश के विभिन्न शहरों में बुनकरों के उत्‍पादों को सीधे उपभोक्‍ताओं तक पहुंचाने का प्रयास है।
15 राज्‍यों की 90 एजेंसियां इस प्रदर्शनी में भाग ले रही हैं। इस प्रदर्शनी में 4 ऐसे बुनकर भी हिस्‍सा ले रहे हैं जिन्‍हें डिजाइन के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया है।
वस्त्र मंत्रालय के अनुसार देश में, कृषि क्षेत्र के बाद, हथकरघा दूसरा ऐसा बड़ा क्षेत्र है जिससे 65 लाख लोग प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। हथकरघा बुनकरों की कला पारंपरिक मूल्‍यों से जुडी होती है और प्रत्‍येक क्षेत्र की अपनी उत्‍कृष्‍ट विशेषता है। पोच्‍चमपल्‍ली, पैठानी, कांजीवरम, बनारसी, जामदानी, बालूचरी और ईकत जैसे अनोखे सिल्‍क उत्‍पाद, विशिष्‍ट बुनावट और पारंपरिक डिजाइन के कारण विश्‍व के उपभोक्‍ताओं को लुभाते हैं। इस तरह की प्रदर्शनियों से न केवल हथकरघा एजेंसियों को वाजिब दामों पर उनके उत्‍पादों को बेचने के लिए बाजार उपलब्‍ध होता है बल्कि उत्‍पादों में सुधार के लिए रंग, डिजाइन और बुनाई से संबंधित उपभोक्‍ताओं की राय भी प्राप्‍त होती है।
वस्त्र मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री श्री गंगवार के अनुसार भारत सरकार ने हथकरघा उत्‍पादों के लिए ‘हैंडलूम मार्क’ और सिल्‍क उत्‍पादों की विश्‍वसनीयता के लिए ‘सिल्‍क मार्क’ योजना शुरू की है ताकि उत्‍पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उनकी अलग पहचान स्‍थापित की जा सके। इससे उपभोक्‍ताओं को यह गारंटी मिलती है कि वह सही मायने में हाथ से बुने हुए उत्‍पाद खरीद रहे हैं। सिल्‍क फेब प्रदर्शनी में सभी प्रदर्शकों को उनके उत्‍पादों पर हैंडलूम मार्क और सिल्‍क मार्क लगाने के लिए प्रोत्‍साहित किया गया है।