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इन्सान पूर्ण हैं क्योंकि उनके अन्दर खुदा का नूर है

माटी एक अनेक भान्ति , कर साजी साजनहारे ।
न कुछ पोच माटी के भांडे , न कुछ पोच कुम्हारे ।

न्सान पूर्ण हैं क्योंकि उनके अन्दर खुदा का नूर है

भाव : एक ही कुम्हार है और एक ही माटी है , उस मिट्टी से कुम्हार अनेक प्रकार के बर्तन बनाता है इसी प्रकार परमात्मा एक ही है परन्तु उसके बनाए हुए इंसान की सूरत जुदा -जुदा है।परमात्मा पूर्णता का प्रतीक है और उसके बनाए हुए इन्सान भी पूर्ण हैं क्योंकि उनके अन्दर खुदा का नूर है ।
प्रस्तुती राकेश खुराना

Comments

  1. Laveta says:

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