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ईश्वर को सभी प्राणियों का ध्यान , चिंता रहती है । वो ही सबका पालनहार है: Amrit Vani

माँगूं मैं राम – कृपा दिन रात,
राम – कृपा हरे सब उत्पात ।
राम -कृपा लेवे अन्त सम्भाल ,
राम -प्रभु है जन प्रतिपाल ।
भावार्थ : जिज्ञासु परमात्मा से प्रार्थना करता है कि मैं आपका बालक आपकी शरण में हूँ । मैं आपकी कृपा हर समय चाहता हूँ क्योंकि राम – कृपा से ही मन की उथल – पुथल एवं चंचलता शांत होती है । जब मन की चंचलता शांत होती है , तब ही परमात्मा के नाम में चित्त लगता है और नाम जपने से ही व्यक्ति राम कृपा का पात्र बनता है ।बाकी सारा धन और पूंजियाँ तो इही लोक की हैं और सांसारिक धन अंत समय में हमारे साथ नहीं जाता , केवल राम नाम का धन ही एक ऐसी पूंजी है जो अंत समय में हमारी रक्षा करती है और हमारे साथ जाती है । ईश्वर को सभी प्राणियों का ध्यान , चिंता रहती है । वो ही सबका पालनहार है ।
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुति राकेश खुराना