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गले लगा लो हर इन्सान को कि अपना है :संत दर्शन सिंह जी महाराज

आत्मिक प्रेम और पवित्रता पाने के लिए हमें संतों की शिक्षा धारण करनी चाहिए । यह विवेक हमें सही दिशा में ले जायेगा । हमारी सुरत एकाग्र हो जाने से हमें सांसारिक कार्यों में भी मदद मिलेगी । यह कोई महज बौद्धिक ज्ञान नहीं है । यदि हम विवेक को अमल में लायें और प्रभु का प्रेम पाने की कोशिश करें तो हमें शीघ्र ही इसके लाभ मिलने लगेंगे । जितनी जल्दी हम इस दिव्यप्रेम का आस्वादन करेंगे, हमें उतनी जल्दी ख़ुशी मिलेगी । रोज़ भजन-अभ्यास और प्रभु प्रेम की मतवाली आत्मा का सत्संग सुनेंगे, तब हमें आत्मिक उभार मिलेगा और दिव्य मंडलों की यात्रा करते हुए प्रेम में अथवा प्रेम स्वरूप परमात्मा में लीन हो जायेंगे । हम सब इस ध्येय की प्राप्ति शीघ्र करें ताकि हमारी आत्मा प्रभु प्यार के सागर में सदा के लिए लीन हो जाये । जब हम प्रभु प्रेम से एकमेक हो जाते हैं तो जिन्हें वह प्यार करता है, उन्हें हम भी प्यार करने लगते हैं । हर वस्तु जिससे उसे प्यार है, हमें भी प्यार होगा । हम समस्त सृष्टि के प्रति प्यार रखेंगे । हम सबको आत्मवत प्यार करेंगे, सब में प्रभु की ज्योति के दर्शन करेंगे ।
संत दर्शन जी महाराज ने अपना निजी अनुभव इस प्रकार व्यक्त किया है:-
गले लगा लो हर इन्सान को कि अपना है ।
चलो तो राह गुज़ारों में बांटते हुए प्यार ।।