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नाम का जाप करो और उसके अर्थ की भावना में लीन हो जाओ -यह मन्त्र – योग की विधि है

यथा वृक्ष भी बीज से , जल – रज ऋतु – संयोग ।
पा कर, विकसे क्रम से , त्यों मन्त्र से योग ।

श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुती राकेश खुराना

भाव : जिस प्रकार बीज- जल , मिट्टी और अनुकूल मौसम के सहयोग (मेल ) से धीरे – धीरे वृक्ष बन जाता है , उसी प्रकार मन्त्र – जाप से निरंतर आध्यात्मिक प्रगति होती रहती है।
मन्त्र योग : ऐसी पद्धति , जो मन्त्र की साधना से भगवद मिलन करा दे ।
धारणा , ध्यान और समाधि तीनों का मन्त्र से योग मन्त्र – योग कहलाता है । नाम का जाप करो और उसके अर्थ की भावना में लीन हो जाओ -यह मन्त्र – योग की विधि है ।
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुती राकेश खुराना

Comments

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