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पीएम्”मोदी”ने१९८४सिख संहार पीड़ितों को सांत्वना दी:कांग्रेस पर गहरा प्रहार

[नई दिल्ली] प्रधान मंत्री “मोदी” ने १९८४ के जनसंहार के पीड़ित सिखों को सांत्वना दी और कांग्रेस पर गहरा प्रहार किया
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी आज आल इंडिया रेडियो पर अपने लोकप्रिय कार्यक्रम “मन की बात” में बोल रहे थे | पी एम् ने भारतीय बिस्मार्क के रूप में पहचान बनाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की ३१ अक्टूबर को मनाये जाने वाली जयंती का उल्लेख करते हुए सिखों की पीड़ा का भी उल्लेख किया |इसके समर्थन में पंजाब के एक सिख का ऑडियो सन्देश भी सुनाया गया |इसी संदर्भ में पी एम् मोदी ने कहा के ३१ अक्टूबर को सरदार वल्लभ है पटेल की जयंती है और महापुरुष की जयंती के दिन ही तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की जघन्य हत्या हुई थी जिसके पश्चात् देश की राजधानी में भी निर्दोष सिखों का कत्ले आम हुआ|
एक तरफ पी एम् ने वल्लभ भाई पटेल और श्रीमती इंदिरा गाँधी दोनों को याद किया लेक्किन श्रीमती इंदिरा की हत्या के पश्चात् सिख संहार पर अफ़सोस भी किया|गौरतलब हे के पंजाब इलेक्शन मोड़ में आ चूका है और सिखों को जख्मों पर मलहम इलेक्शन में वोटों में भी तब्दील हो सकता है
प्रस्तुत है प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात के कुछ अंश:
“आज मेरे प्यारे देशवासियो, कल 31 अक्टूबर, इस देश के महापुरुष – भारत की एकता को ही जिन्होंने अपने जीवन का मंत्र बनाया, जी के दिखाया – ऐसे सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म-जयंती का पर्व है। 31 अक्टूबर, एक तरफ़ सरदार साहब की जयंती का पर्व है, देश की एकता का जीता-जागता महापुरुष, तो दूसरी तरफ़, श्रीमती गाँधी की पुण्यतिथि भी है। महापुरुषों को पुण्य स्मरण तो हम करते ही हैं, करना भी चाहिए। लेकिन पंजाब के एक सज्जन का फ़ोन, उनकी पीड़ा, मुझे भी छू गई: –
“प्रधानमंत्री जी, नमस्कार, सर, मैं जसदीप बोल रहा हूँ पंजाब से। सर, जैसा कि आप जानते हैं कि 31 तारीख़ को सरदार पटेल जी का जनमदिन है।
सरदार पटेल ओ शख्सियत हैं, जिनाने अपनी सारी ज़िंदगी देश नु जोड़न दी बिता दित्ती and ओ उस मुहिम विच, I think, सफ़ल भी होये, he brought everybody together. और we call it irony or we call it, एक बुरी किस्मत कहें देश की कि उसी दिन इंदिरा गाँधी जी की हत्या भी हो गई। and जैसा हम सबको पता है कि उनकी हत्या के बाद देश में कैसे events हुए। सर, मैं ये कहना चाहता था कि हम ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण जो events होते हैं, जो घटनायें होती हैं, इनको कैसे रोक सकते हैं। ”
मेरे प्यारे देशवासियो, ये पीड़ा एक व्यक्ति की नहीं है। एक सरदार, सरदार वल्लभ भाई पटेल, इतिहास इस बात का गवाह है कि चाणक्य के बाद, देश को एक करने का भगीरथ काम, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया। आज़ाद हिंदुस्तान को, एक झंडे के नीचे लाने का सफल प्रयास, इतना बड़ा भगीरथ काम जिस महापुरुष ने किया, उस महापुरुष को शत-शत नमन। लेकिन यह भी तो पीड़ा है कि सरदार साहब एकता के लिए जिए, एकता के लिए जूझते रहे; एकता की उनकी प्राथमिकता के कारण, कइयों की नाराज़गी के शिकार भी रहे, लेकिन एकता के मार्ग को कभी छोड़ा नहीं; लेकिन, उसी सरदार की जन्म-जयंती पर हज़ारों सरदारों को, हज़ारो सरदारों के परिवारों को श्रीमती गाँधी की हत्या के बाद मौत के घाट उतार दिया गया । एकता के लिये जीवन-भर जीने वाले उस महापुरुष के जन्मदिन पर ही और सरदार के ही जन्मदिन पर सरदारों के साथ ज़ुल्म, इतिहास का एक पन्ना, हम सब को पीड़ा देता है ।
लेकिन, इन संकटों के बीच में भी, एकता के मंत्र को ले करके आगे बढ़ना है। विविधता में एकता यही देश की ताक़त है।
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