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प्रभु को समर्पित भाव से प्रेम करने पर सभी मलिनता धुल जायेगी

प्रभु को समर्पित भाव से प्रेम करने पर सभी मलिनता धुल जायेगी

प्रभु को समर्पित भाव से प्रेम करने पर सभी मलिनता धुल जायेगी

श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली , मेरठ में आज 03 मार्च 2013 को प्रात:कालीन सत्संग के अवसर पर पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने अमृतमयी प्रवचनों की वर्षाकरके श्रधालुओं को निहाल किया |
” न कुछ हंस के सीखा है , न कुछ रो के सीखा है ,
अगर हमने कुछ सीखा है , किसी का हो के सीखा है । ”
व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि संतजन समझाते हैं कि जब तुम किसी संत , महापुरुष की शरण में जाओ तो अपना आप संत को सौंप दो । अपना आप सौंपने का यह अर्थ नहीं है कि अपनी दौलत , जायदाद सौंप दो । अपने आप को सौंपने का अर्थ है कि अपने मन को सौंप दो जिससे तुम्हारी मन – मति समाप्त हो जाए और गुरु -मति धारण हो जाए ।
हम लोग मंदिरों और आश्रमों में आते तो हैं परन्तु हमारा मन जगत में विचरण करता है अर्थात हमारे मन की चंचलता शांत नहीं होती । हम अपनी मन – मति से मन -माने कुकर्मों को कर-करके अपने पाप कर्मों की गठरियों को बाँध – बाँध कर उसे सिर पर रखकर एक बोझित जीवन व्यतीत करते हैं । इसीलिए संतजन समझाते हैं कि परमात्मा से सच्चा प्रेम करो , जहाँ प्रेम है वहीँ समर्पण है और समपर्ण में बड़ा आनंद है । जो समर्पित और श्रद्धावान हैं परमात्मा के दरबार में उनकी भक्ति परवान चढ़ती है । परमात्मा के दरबार से आपके ह्रदय के आँगन में उसकी कृपा की जो बरसात होगी
उससे मन की मलिनता धुल जाएगी और मन शुद्ध – विशुद्ध हो जायेगा ।
प्रस्तुति राकेश खुराना