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भूखे रहकर भक्ति नहीं की जा सकती : हे मालिक राशन भी दो ताकि निश्चिंतता से नाम ले सकूं

भूखे भगति न कीजै । यह माला अपनी लीजै ।
दुह सेरु मांगउ चूना । पाउ घीउ संगि लूना ।
अध सेर मांगउ दाले । मोकउ दोनउ वखत जिवाले ।
खाट मांगउ चउपाई । सिरहाना अवर तुलाई ।
ऊपर कउ मांगउ खींधा । तेरी भगति करै जनु थींधा ।
मैं नाहीं कीता लबो । इकु नाउ तेरा मैं फबो ।
हे मालिक ! मैं भूखा रहकर तेरी भक्ति नहीं कर सकता , इसलिए मैं रोज दो सेर आटा मांगता हूँ । साथ घी , नमक और आधा सेर दाल , ताकि दोनों समय आजीविका की व्यवस्था हो जाये। चारपाई , सिरहाना , बिछौना और ओढ़ने को रजाई भी दे , ताकि दास निश्चिंत होकर तेरी भक्ति कर सके । यह सब मैं कोई लोभवश नहीं मांग रहा हूँ । मुझे तो केवल तेरा नाम ही अच्छा लगता है।
वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

Comments

  1. Such a cool story. I believe it could be most appropriate to maintain it from the Bay Area, as that is wherever it had been used for schlepping the Dead’s equipment approximately back again while in the day (is it possible to visualize??!!) But, wherever it can obtain a safe home for the public will be excellent.