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राम नाम के हीरे मोती, संत बिखेरें गली गली,

राम नाम के हीरे मोती, संत बिखेरें गली गली,
ले लो रे कोई राम का प्यारा, ध्वनि लगायें कृष्ण हरी. 
 संत महापुरुषों का इस धरा धाम पर अवतरण का उद्देश्य होता है.   परमात्मा जब देखता है
कि जगत में पापों से तपे हुए जीव दुखी हैं तो वह दीनदयाल , करुणासागर, भक्तवत्सल, 
उन जीवों के कल्याण के लिए संत महापुरुषों को, अपनी अलौकिक शक्तियां देकर , इस धरा धाम पर भेजता है.   तथा संत महापुरुष गली-गली, शहर-शहर जा-जा कर परमेश्वर के नाम कि ध्वनि को गुंजाते हैं.  उनकी यह गूँज या तरंग  किसी बिछड़ी हुई आत्मा को स्पर्श करती है तथा  जिज्ञासुओं में आस्तिक भाव सजग हो जाते हैं.   उनके मन में राम नाम जपने का शौक पैदा हो जाता है तथा परमात्मा के नाम में लगन लग जाती है  और उनके तपे हुए मन शांत हो जाते हैं.   यही संत का उद्देश्य होता है.  
श्री रामशरणम्  आश्रम, गुरुकुल डोरली , मेरठ  के परमाध्यक्ष पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी  के प्रवचन का एक अंश.
श्री रामशरणम्  आश्रम, गुरुकुल डोरली , मेरठ  

Comments

  1. Deja says:

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