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संत अपना प्यार सर्वत्र फैलाकर मानव को प्रेम और भक्ति के मार्ग पर लाते हैं

संत अपना प्यार सर्वत्र फैलाकर मानव को प्रेम और भक्ति के मार्ग पर लाते हैं

संत अपना प्यार सर्वत्र फैलाकर मानव को प्रेम और भक्ति के मार्ग पर लाते हैं

संत महिमा अपार है |संत हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं|संत ही हमें ईश्वरीय प्रेम का अनुभव करते हैं|
संत की महिमा का वर्णन करते हुए बताया गया है कि संत प्रेम का साकार रूप होते हैं । वे हमें सिखाते हैं कि हम अपना जीवन किस तरह का बनायें । संत जानते हैं कि आत्मिक विकास की प्राप्ति के लिए हममें नैतिक गुणों का होना जरुरी है क्योंकि इन सदगुणों में प्रेम छिपा होता है ।संत अपना प्यार सर्वत्र फैलाकर हमें प्रेम और भक्ति के मार्ग पर लगा देते हैं । प्रभु के धाम तक पहुँचने के लिए हमें प्राणिमात्र के प्रति प्रेम भरा ह्रदय रखना होगा । इसप्रकार का प्रेमपूर्ण जीवन अपना लेने पर हमारा जीवन प्रभु तक पहुँचने योग्य हो जायेगा और फिर संत हमें ईश्वरीय प्रेम का स्वाद चखाकर हममें उस अमृत को ज्यादा से ज्यादा पाने की इच्छा जगाते हैं ताकि हम अंतर में उतर जाएँ । जितना हम अंतर में जायेंगे , हमें उतना ही अधिक ईश्वरीय प्रेम का अनुभव प्राप्त होगा । आखिर में जब हम सचखंड पहुँच जाते हैं , हमें संत की आत्मिक महानता का अनुभव होता है ।
प्रस्तुति राकेश खुराना