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संसार की प्यास हो तो परमात्मा लुप्त हो जाते हैं.

प्रभु को पाने के लिए प्यासे जिज्ञासुओं को समझाते हुए प्रभु कहते हैं कि जिसके भीतर
प्यास होती है उसे ही जल दीखता है. अगर प्यास ना हो तो जल सामने रहते हुए भी नहीं दीखता .ऐसे ही जिस में परमात्मा कि प्यास (लालसा) है, उसे परमात्मा दीखते हैं और जिसके भीतर संसार कि प्यास है , उसे संसार दीखता है. परमात्मा कि प्यास है तो संसार लुप्त हो जाता है और अगर

परमात्मा कि प्यास जाग्रत होने पर भक्त को भूतकाल का चिंतन नहीं होता, भविष्य की आशा
नहीं रहती और वर्तमान में परमात्मा को पाने की निरंतर कोशिश रहती है.

जब साधक संसार में किसी भी वस्तु-व्यक्ति को अपना तथा अपने लिए नहीं मानता बल्कि
एकमात्र भगवान् को ही अपना एवं अपने लिए मानता है, तब वह अकिंचन हो कर भगवान् का प्रेमी हो जाता है.
श्री मदभगवदगीता की अमृतमयी वर्षा की एक बूँद.

Comments

  1. nicewowgold says:

    Thank you for the sensible critique. Me and my neighbor were just preparing to do a little research about this. We got a grab a book from our area library but I think I learned more from this post. I’m very glad to see such magnificent info being shared freely out there.

  2. Thanks like your संसार की प्यास हो तो परमात्मा लुप्त हो जाते हैं. | Jamos News and Features