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सांसारिक सुख मृगतृष्णा है और परम आनंद और सुख परमात्मा के नाम में ही है

श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली , मेरठ में दिनांक 13 जनवरी 2013 को प्रात:कालीन सत्संग के अवसर पर पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने अमृतमयी प्रवचनों की वर्षा करते हुए कहा :-
ये जन्म तुझे अनमोल मिला चाहे जो इससे कमा बाबा ।
कुछ दीं कमा, कुछ दुनिया कमा, कुछ हरि के हेतु लगा बाबा ।
भाव : हमें

Poojy Niraj Mani Rishi Ji

मिला , संत भी मिले , संतों से नाम भी मिला , संतों के द्वारा बनाए गए आश्रम अर्थात नाम जपने का स्थान भी मिला परन्तु हमारे अंत:करण में परमात्मा के नाम को जपने का शौक पैदा नहीं होता । हम पूरी आयु सांसारिक सुखों के पीछे ही भागते रहते हैं जो स्थायी नहीं है । जगत के सुख तो ऐसे हैं जैसे मृगतृष्णा ।जैसे रेगिस्तान में हिरन , रेत की चमक को पानी समझकर अपनी प्यास बुझाने के लिए उसके पीछे भागता है , उसकी प्यास तो नहीं बुझती परन्तु भागते – भागते अचेत होकर गिर पड़ता है और अपने प्राण दे देता है , इसी तरह से हम मोह , ममय और कामनाओं के जाल में फंस जाते हैं , कामनाओं की पूर्ति तो नहीं होती परंतु हमारा जीवन इसी में व्यतीत हो जाता है।
संत हमें समझाते हैं कि इस अनमोल जीवन को परमात्मा का नाम लेने में लगाओ क्योंकि परम आनंद और सुख परमात्मा के नाम में है इसलिए उसके नाम का भजन का करो और उनके चरणों के अनुरागी बनो
प्रस्तुति राकेश खुराना

Comments

  1. Fanny says:

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