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ह्रदय प्रार्थना करने का उच्च स्थान है इसीलिए नम्रता और आदर भाव से इसे साफ और शुद्ध रखा जाना चाहिए

आपे जाणै करे आपि आपे आणै रासि ।
तिसै अगे नानका खलिइ कीचै अरदासि ।

Rakesh khurana

ह्रदय प्रार्थना करने का उच्च स्थान है और इसीलिए इसे प्रार्थना में लगाने से पहले शुद्ध और साफ करना जरूरी है । ह्रदय की शुद्धता में नम्रता और आदरपूर्वक प्रभु का भाव होता है जो दुनिया की तमाम चिंताओं और झंझटों से मुक्त होता है ।
अर्थात वह मालिक सब कुछ जानता है , सब करण – कारणहार है और स्वयं ही कार्य पूर्ण कर देने में समर्थ है । उसके आगे खड़े होकर विनयपूर्वक प्रार्थना करो ।
वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

Comments

  1. No, sorry, it really is just not that exciting for your ahem demographic.