Ad

Tag: रालोद

उत्तर प्रदेश विधान सभा को भी आज हंगामे की भेंट चड़ाया गया :प्रश्न काल स्थगित

विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज सोमवार को विपक्ष के हंगामे के बीच अखिलेश सरकार ने अपना पहला अनुपूरक बजट पेश कर दिया | भारी हंगामे को देखते हुए पहले सदन की कार्रवाई दो बार 10-10 मिनट के लिए स्‍थगित की गई इसके बाद कार्रवाई 12 बजकर 20 मिनट तक के लिए फिर सवा एक बजे तक के लिए सदन की कार्रवाई स्‍थगित की गई। इस दौरान एक विधायकों में धक्का मुक्की भी हुई|

उत्तर प्रदेश विधान सभा

स्पीकर माता प्रसाद पांडे ने सदन को दोपहर तक के लिए स्थगित कर दिया।

बी एस पी ने उठाया क़ानून व्यवस्था का मुद्दा

उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज सोमवार को विपक्षी पार्टियों बसपा+भाजपा + राष्‍ट्रीय लोकदल के विधायकों ने जमकर जबरदस्त हंगामा किया | बहुजन समाज पार्टी के विधायकों ने सदन में सरकार विरोधी नारे लगाए और प्रदेश में राज्यपाल शासन लगाए जाने की मांग की। बसपा नेताओं का आरोप था कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। उन्होंने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की मूर्ति तोड़े जाने के विरोध में जमकर नारेबाजी की, जिसके बाद प्रश्नकाल को स्थगित कर दिया गया।. सदन में सरकार के खिलाफ नीले पोस्टर भी लहराए गए| बसपा के सदस्यों ने हाथों में पोस्टर लेकर सभापति के आसन के करीब आकर नारेबाजी की|

रालोद+बी जे पी ने गन्ना भाव को मुद्दा बनाया

इस बीच राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गन्ने का समर्थन मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग को लेकर सदन में हंगामा किया.
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि जब तक सरकार सदन में किसानों के लिए गन्ने के समर्थन मूल्य का ऐलान नहीं करेगी, तब तक सदन नहीं चलने दिया जाएगा

सत्र अवधि बढाने की मांग

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘हमने विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से मिलकर सदन की कार्यवाही 10 दिन और बढ़ाने की मांग की है। सदन का शीत सत्र इतना छोटा है कि इसमें राज्य की जनता से जुड़े मुद्दों पर सही तरीके से चर्चा नहीं हो सकती.’
भारी हंगामे के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधानसभा में प्रदेश का अनुपूरक बजट पेश किया. बजट पर चर्चा होने की उम्मीद है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 23 नवंबर से 30 नवंबर तक प्रस्तावित है. सत्र के पहले दिन शुक्रवार को विधानसभा में सूबे के खेल एवं युवा कल्याण राज्य मंत्री कामेश्वर उपाध्याय के निधन पर शोक व्यक्त कर उन्हें श्रद्घांजलि दी गई थी. सत्र बेहद छोटा होने की वजह से विपक्ष लगातार सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है.

मेरठ में एयर पोर्ट को लेकर सपा, रालोद बसपा और भाजपा में राजनीतिक धमासान

बचपन से एक कहावत सुनते आ रहे हैं कि झोतटों की लड़ाई में झुंडों का नाश होता है यह कहावत आज कल यूं पी और ख़ास कर मेरठ की राजनीती में अक्षरह प्रासंगिक है| यहाँ में एक बात साफ़ कर देना चाहता हूँ कि झोतटों का अर्थ बिजार नहीं बल्कि शक्तिशाली और झुण्ड का अर्थ निरीह लिया जा रहा है|शक्ति शाली हैं सिविल एविएशन मंत्री चौधरी अजित सिंह और यूं पी के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव|जबकि निरीह हैं मेरठ में एयरपोर्ट का मामला|
बेहद क्षमा के साथ यह कहना चाहता हूँ कि मेरा इरादा किसी का अपमान करने या उनकी तुलना जानवरों से करने कि नहीं है मगर आज कल राजनीति में आये दिन मच्छर+ नाली के कीड़े+डेंगू मच्छर +घोड़ा+बैल और ना जाने किस किस जानवर के रूप में नेताओं को देखा जा रहा है| अब चूंकि कलम समाज के रूप को ही उजागर करती है सो समाज में प्रचलित भाषा का ही प्रयोग का ही चलन है|

मेरठ में एयर पोर्ट को लेकर सपा, रालोद बसपा और भाजपा में राजनीतिक धमासान


मेरठ में विकास की गंगा बहाने के लिए अखिलेश यादव और अजित सिंह दोनों ही आये दिन दावे करते नज़र आ रहे हैं|लेकिन वास्तव में दोनों ही अपने सियासी अहम में फंसे दिखाई दे रहे हैं| चौधरी अजित सिंह जहां मेरठ में एयर पोर्ट के लिए फ्री में जमीन चाहते हैं तो मुख्य मंत्री ऐसी किसी परिपाटी से इनकार करते हुए आगरा या वाराणसी में एयरपोर्ट का विकास करने की सलाह दे रहे है।अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इस बयान पर राजनीति में भूचाल आ गया है,
विपक्षी दलों का कहना है कि जब अजित सिंह मेरठ में एयरपोर्ट की स्थापना के लिए देश के 37 एयरपोर्ट की तर्ज पर मुफ्त में जमीन मांग रहे हैं तो मुख्यमंत्री को तत्काल जमीन देकर उनका आग्रह स्वीकार कर लेना चाहिए। इस तरह के बयान देकर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि वह मेरठ मंडल की उपेक्षा कर रहे हैं। वह भी तब जब राजस्व वसूली के मामले में प्रदेश में यह क्षेत्र अव्वल है। उद्यमियों व व्यापारियों ने भी इन विपक्षी दलों की बात का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्लानिंग बोर्ड (एनसीआरपीबी) की सिफारिश लागू हुए छह साल बीत गए हैं पर उप्र सरकार की उपेक्षा के चलते एनसीआरपीबी की महायोजना-2021 के तहत एक भी प्रोजेक्ट मेरठ मंडल में लांच नहीं हुआ है। यानि मेरठ मंडल के लिए एनसीआर में शामिल होने का अनुभव भी अच्छा नहीं है।मेरठ में एयर पोर्ट के प्रति उपेक्षा या राजनीती को लेकर बसपा और भाजपा विधान सभा में आवाज उठाने जा रही है जबकि भाजपा इसे लोक सभा में भी उठाने की बात करने लगे हैं|

चौधरी अजित सिंह

केंद्रीय टीम के निरीक्षण के बाद भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चेयरमैन के अलावा खुद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिख चुके हैं। मेरठ एयरपोर्ट के लिए उन्होंने 133 एकड़ में फैली हवाई पट्टी मुफ्त में एएआइ को हस्तांतरित करने का आग्रह किया है। मुफ्त में जमीन देने की बाबत उन्होंने देश के 18 राज्यों में स्थापित उन 37 एयरपोर्ट की सूची भेजी है, जहां एएआइ को मुफ्त में जमीन मिली है। उप्र के वाराणसी में ही 64.73 एकड़ व लखनऊ में 77 एकड़ जमीन एएआइ को लीज पर मिली है, जिसमें एएआइ के अधीन एयरपोर्ट संचालित है। उन्होंने कहा है कि यदि यह जमीन मिल जाए तो शीघ्र ही इस हवाई पट्टी पर कुछ व्यवस्था कर लखनऊ व इलाहाबाद के लिए उड़ान शुरू की जा सकती है। 7500 वर्ग फीट का रन-वे, समानांतर में टैक्सी ट्रैक, टर्मिनल बिल्डिंग, एटीसी टॉवर, फायर स्टेशन, हैंगर्स, कारगो के साथ-साथ सिविल शेड्यूल प्रचालनों के लिए सी श्रेणी के विमान हेतु विकसित तथा उन्नत करने के लिए अतिरिक्त 433 एकड़ भूमि का अधिग्रहण तथा हस्तांतरण का कार्य एएआइ बाद में कराएगी। इस प्रोजेक्ट पर खर्च होने वाला करीब 250 करोड़ रुपये एएआइ के पास है।
अजित सिंह के अनुसार मेरठ में ही वह हैदराबाद व तमिलनाडु की तरह 600 करोड़ की लागत से विमान रखरखाव, मरम्मत एवं ओवर हॉल (एमआरओ) सेवा शुरू कराने के इच्छुक है, ताकि देश-विदेश से विमान यहां ठीक होने के लिए आएं। इस प्रोजेक्ट के लांच होने पर मेरठ ही नहीं आसपास में न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि औद्योगिक विकास भी होगा।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

मेरठ की हवाई पट्टी छोटी है, फिर भी केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह उप्र में एयरपोर्ट का विकास करना चाहते हैं तो वह अपना ध्यान मेरठ के बजाए आगरा व वाराणसी पर लगाएं। यह दुनिया भर के पर्यटकों के लिए बेहतर होगा।

एयरपोर्ट निर्माण के लिए शर्तें

[१]एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मानकों के अनुसार राष्ट्रीय स्तरपर हवाई अड्डे के लिए चाहिए- रनवे 18045 फुट यानि करीब 5552.615 मीटर लंबा व 296 मीटर चौड़ा[२]वर्तमान में मेरठ हवाई पट्टी पर 47 एकड़ जमीन पर रनवे- 1736 मीटर लंबा व 80 मीटर चौड़ा।[३]86 एकड़ जमीन विस्तारीकरण के बाद रनवे- 2700 मीटर लंबा और 200 मीटर चौड़ा[४] 433 एकड़ जमीन और अधिग्रहण करने के बाद रनवे- 7200 मीटर लंबा व 310 मीटर चौड़ा

विपक्षी दलों की दलीलें

बसपा द्वारा यह मामला राज्यसभा में उठाया जाएगा|
बसपा सरकार में यह हवाई पट्टी विकसित हुई। विस्तारीकरण को 86 एकड़ जमीन अधिग्रहण की गई और चारदीवारी कराई गयी। प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप अन्तर्गत मेरठ एयरपोर्ट के लिए परामर्शी का चयन कर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर), संभावना तलाशने के लिए प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी तैयार हुई और मेरठ विकास प्राधिकरण की महायोजना-2021 में 1350 एकड़ जमीन का संशोधन प्रस्ताव भी पारित किया गया। मेट्रो सिटी होने के कारण मेरठ में एयरपोर्ट जरूरी है। अजित सिंह की पहल भी सही है। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री मेरठ हवाई पट्टी को छोटी बताकर कहीं और एयरपोर्ट की वकालत कर रहे हैं तो वह गलत है। ।
भाजपा इसे लोक सभा में उठायेगी| भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, के अनुसार वर्ष 2006 में बनी एनसीआरपीबी की महायोजना-2021 में मेरठ में एयरपोर्ट की बात की गई है। एमडीए की महायोजना में भी यह प्रस्ताव शामिल है। ऐसे में अजित सिंह की पहल स्वागत योग्य है, पर मुख्यमंत्री ने मेरठ एयरपोर्ट को लेकर जो बयान दिया है, उसे लोस में उठाया जाएगा।
अजित सिंह की पार्टी – रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान, के अनुसार उनके नेता मेरठ ही नहीं प्रदेश के छह शहरों में एयरपोर्ट बनवाना चाहते हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने जिस तरह केवल आगरा में एयरपोर्ट की बात की है, उससे लगता है कि वह सपा के गढ़ वाले क्षेत्र की पैरवी कर रहे हैं। अजित सिंह ने मेरठ के साथ ही आगरा, मुरादाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर में भी एयरपोर्ट विकसित करने की बात की है।
मेरठ के व्यापारियों और उधमियों ने आरोप लगाया है के मेरठ एयरपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री का बयान इस बात का प्रमाण है कि वह इस क्षेत्र का विकास नहीं चाहते हैं। दस नवम्बर को मुख्यमंत्री मेरठ आए तो उन्होंने उद्यमियों व व्यापारियों से मिलने का समय देने के बाद भी उनसे बात नहीं की। पिछले 15 साल से मेरठ मंडल में उद्योग के लिए एक इंच जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ है। इन्फ्रास्ट्रक्चर बदहाल है। ऐसे में यदि मेरठ से हवाई यात्रा का सपना पूरा हो जाता तो उद्यमियों व व्यापारियों को राहत मिलती। मेरठ से रोज 250 लोग विभिन्न स्थानों के लिए दिल्ली से हवाई उड़ान भरते हैं। यदि एयरपोर्ट मेरठ में होगा तो इनकी संख्या दस गुणा तक होगी। हर वर्ष करीब 1200 करोड़ से अधिक का खेल उत्पाद, सोने के आभूषण, दवाई, मीट, आदि उत्पाद विदेशों में यहां से जाते है, वह भी मेरठ एयरपोर्ट से जा सकेगा। इन इकाइयों में तैयार माल मुंबई या कोलकाता बंदरगाह से विदेशों में जाता है। बंदरगाह तक पहुंचने में काफी समय लगता है, लेकिन यहां माल वायुयान से जाने के बाद कुछ हीं घंटों में बंदरगाह पर पहुंच जाएगा।
इतिहास गवाह है मेरठ शुरू से ही उपेक्षा का शिकार रहा है|एन सी आर के लाभ से लेकर हाई कोर्ट की बेंच और रेलवे के लिए डबल लाईन और अब ये एयर पोर्ट का मुद्दा जिस तरह से राजनीती का शिकार हो रहा है उसे देखते हुए कहा जा सकता है के झोत्टों की लड़ाई में झुंडों का नाश हो रहा है|

….

….

….

उत्तर प्रदेश में भी अंग्रेजों का समाज वाद यानि चैरिटी बिगिन्स एट होम


झल्ले दी गल्ला

समाज वादी

ओये झल्लेया ये ह्साड़े मुल्क को किधर धकेला जा रहा है?पहले तो ओनली कांग्रेस पर ही वंशवाद + ब्राह्मण वाद+वोटों की राजनीती करने का आरोप लगता था अब ये आरोप लगाने वाले सपाई खुद ही अपनी पार्टी में परिवार वाद वंश वाद को बढावा दे रहे हैं |देखो लोक सभा के लिए २०१४ में होने वाले चुनावों में प्रदेश की ८० सीटों के लिए १०% उम्मीदवार तो अपने परिवार से ही चुन लिए हैं| यकीन नहीं आता तो लिस्ट हाज़िर है [1.] मैनपुरी-मुलायम सिंह यादव2. कैराना-नाहिद हसन3. मुजफ्फरनगर-गौरव स्वरूप4. नगीना-यशवीर सिंह5. मुरादाबाद-एसटी हसन6. अमरोहा-श्रीमती हुमेरा7. बागपत-विजय कुमार सिंह8. गाजियाबाद-सुधन रावत9. गौतमबुद्धनगर-नरेंद्र भाटी10. हाथरस-रामजी लाल सुमन 11. मथुरा-चंदन सिंह12. आगरा-महराज सिंह 13. फतेहपुर सीकरी-डा. राजेंद्र सिंह[१४]. फिरोजाबाद-अक्षय यादव[15.] एटा-देवेंद्र सिंह यादव[१६]. बदायूं-धर्मेद्र यादव17. आवला-कुवंर सर्वराज सिंह18. पीलीभीत-बुद्धसेन वर्मा19. शाहजहापुर-मिथलेश कुमार
20. खीरी-रविप्रकाश वर्मा21. धौरहरा-आनंद भदौरिया22. हरदोई-ऊषा वर्मा23. मिश्रिख-जयप्रकाश रावत24. उन्नाव-अरुण कुमार शुक्ला25. मोहनलाल गंज-सुशीला सरोज26. लखनऊ-अशोक वाजपेई27. सुलतानपुर-शकील अहमद28. प्रतापगढ़-सीएन सिंह[२९] . इटावा-प्रेमदास कठेरिया[३०]. कन्नौज-डिम्पल यादव31. अकबरपुर-लाल सिंह तोमर32. जालौन-घनश्याम अनुरागी[33.] झासी-चंद्रपाल सिंह यादव34. हमीरपुर-विशम्भर प्रसाद निषाद35. बादा-आरके पटेल36. फतेहपुर-आरके सचान37. कौशाम्बी-शैलेंद्र कुमार38. इलाहाबाद-रेवती रमण सिंह39. बाराबंकी-श्रीमती राजरानी रावत40. फैजाबाद-तिलकराम वर्मा41. बहराइच-शब्बीर अहमद बाल्मीकी42. कैसरगंज-बृजभूषण शरण सिंह
43. गोण्डा-कीर्तिवर्धन सिंह44. डुमरियागंज-माता प्रसाद पाण्डेय45. बस्ती-बृजकिशोर सिंह46. गोरखपुर-श्रीमती राजमती निषाद47. लालगंज-दूधनाथ सरोज48. घोसी-बाल किशन चौहान49. बलिया-नीरज शेखर[50.] जौनपुर-केपी यादव51. मछली शहर-तूफानी सरोज52. चंदौली-राम किशुन53. वाराणसी-सुरेंद्र सिंह पटेल54. भदोही-श्रीमती सीमा मिश्रा
55. राबर्टसगंज-पकौड़ी लाल

अंग्रेजों का समाज वाद यानि चैरिटी बिगिन्स एट होम

झल्ला

ओ भोले बाबू आप किस समाज वाद में खोये हुए हो अब तो अंग्रेजों का समाज वाद चल रहा है यानि चेरिटी बिगिन्स एट होम
इन चेरिटी वालों को भी कोई कम नहीं समझो माननीय मुलायम सिंह यादव की साईकिल पर एक सवार के साथ अनेको राजनीतिक दावँ लदे हुए हैं|
[१]कांग्रेस के साथ मोल भाव करने के लिए दरवाज़ा खोल दिया है[२] भाजपा पर अपने प्रत्याशियों को उजागर करने के लिए दबाब बना दिया है| भाजपा यदि अब अपने पत्ते खोल देती है तब कांग्रेस को अपने कार्ड्स खेलने में आसानी हो जायेगी|[३]अपने बाग़ी साथी ठाकुर अमर सिंह से दूरी बनाये रखने के लिए अमर सिंह की प्रिय ज्याप्रदा को भाव नहीं दिया[4] बागपत में चौधरी अजित सिंह के लिए जहां फील्ड समतल रखी हैं वहीं रालोद से निकली अनुराधा चौधरी को अभी तक कोई भाव नहीं दिया गया है ऐसे में अजित सिंह के एविएशन मिनिस्ट्री से प्राथमिकता ली जा सकती है| |