राम नाम जप-पाठ से ,
हो अमृत संचार।
राम-धाम में प्रीती हो ,
सुगुण – गुण का विस्तार ।।
संत शिरोमणि स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित अमृतवाणी बगिया का एक पुष्प
प्रस्तुती राकेश खुराना
राम नाम जप-पाठ से ,
हो अमृत संचार।
राम-धाम में प्रीती हो ,
सुगुण – गुण का विस्तार ।।
राम – नाम जो जन मन लावे ,
उस में शुभ सभी बस जावें ।
जहाँ हो राम – नाम धुन नाद ,
भागें वहाँ से विषम – विषाद ।
यथा वृक्ष भी बीज से , जल – रज ऋतु – संयोग ।
पा कर, विकसे क्रम से , त्यों मन्त्र से योग ।
करता हूँ मैं वंदना , नत शिर बारम्बार ।
तुझे देव परमात्मन , मंगल शिव शुभकार ।
अंजलि पर मस्तक किये , विनय भक्ति के साथ ।
नमस्कार मेरा तुझे , होवे जग के नाथ ।
माँगूं मैं राम – कृपा दिन रात,
राम – कृपा हरे सब उत्पात ।
राम -कृपा लेवे अन्त सम्भाल ,
राम -प्रभु है जन प्रतिपाल ।
भावार्थ : जिज्ञासु परमात्मा से प्रार्थना करता है कि मैं आपका बालक आपकी शरण में हूँ । मैं आपकी कृपा हर समय चाहता हूँ क्योंकि राम – कृपा से ही मन की उथल – पुथल एवं चंचलता शांत होती है । जब मन की चंचलता शांत होती है , तब ही परमात्मा के नाम में चित्त लगता है और नाम जपने से ही व्यक्ति राम कृपा का पात्र बनता है ।बाकी सारा धन और पूंजियाँ तो इही लोक की हैं और सांसारिक धन अंत समय में हमारे साथ नहीं जाता , केवल राम नाम का धन ही एक ऐसी पूंजी है जो अंत समय में हमारी रक्षा करती है और हमारे साथ जाती है । ईश्वर को सभी प्राणियों का ध्यान , चिंता रहती है । वो ही सबका पालनहार है ।
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुति राकेश खुराना
गुरु चरण कमल चित्त जोड़िए
श्री शक्तिधाम मंदिर लाल कुर्ती मेरठ में
स्वामी सत्यानन्द महाराज जी द्वारा रचित अमृत वाणी के पावन पाठ से हुआ। पूज्य श्री नीरज मणि ऋषि जी ने इस अवसर पर अमृतमयी प्रवचनों की वर्षा करते हुए कहा सर्वप्रथम मनुष्य जीवन भाग्य से मिलता है , मनुष्य जीवन मिल भी गया तो संतों की शरण मुश्किल से मिलती है , संतों की शरण मिल जाती है तो महापुरषों से पतित पावन परमेश्वर का मंगलमय नाम मुश्किल से मिलता है, फिर गुरु कृपा एवम परमेश्वर की कृपा से अंतःकरण में परमात्मा का नाम जपने का भाव मुश्किल से पैदा होता है ।
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