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Tag: अहम् भाव की समाप्ति

अध्यात्मिक मार्ग पर समर्पित भाव से आगे बढने से परमात्मा मिल जाते हैं: पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी

श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली , मेरठ में दिनांक 31 मार्च 2013 को प्रात:कालीन रविवासरीय सत्संग के अवसर पर पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने अमृतमयी प्रवचनों की वर्षा करते हुए अध्यात्म मार्ग पर समर्पित भाव से आगे बढने की प्रेरणा दी
पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने कहा कि अध्यात्म मार्ग समर्पण का मार्ग है। समर्पण वहां होता है जहाँ प्रेम होता है। जहाँ प्रेम नहीं होता, वहां समर्पण हो ही नहीं सकता।
जो जिज्ञासु नाम आराधन कर-कर के तथा अपने अहम् को समाप्त करके परम पिता परमात्मा ले एक मजबूत डोर में बंध गए अर्थात पूर्णतया समर्पित हो गए , उनके जीवन में परमात्मा प्रकट होते हैं।
एक जिज्ञासु नें किसी संत महापुरुष से पूछा ” आपको कुछ पाना हैं या आपको कुछ जानना है?” इसपर संत बोले ” इस जगत में अगर कोई निष्काम, निरही, पूर्ण संत मिल जाएँ और उस संत द्वारा जब पावन नाम मिल जाए तो पाने के लिए कुछ बचता ही नहीं है। और पवित्र नाम को जप-जप कर जब हमनें अपने आप को परमात्मा के चरणों में पूर्णतया समर्पित कर दिया, वो हमारा हो गया और हम उसके हो गए , अब जानने और खोने के लिए कुछ नहीं बचता हैं । ”
प्रस्तुती राकेश खुराना ,
श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली,
पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी