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Tag: उद्धार

पारस बिना भेदभाव के सबको खरा सोना बना देता है

एक लोहा पूजा में राखत , एक घर बधिक परों ।
पारस गुण अवगुण नहीं चितवै , कंचन करत खरौ ।

Rakesh Khurana


भाव : संत सूरदास जी कहते हैं कि लोहा तो एक है मगर उसको कई जगह इस्तेमाल करते हैं । लोहे से चाक़ू, छुरी, तलवार बनती है और उसी से देवताओं की मूर्ति भी बनती है । छुरी , तलवार आदि कसी , जल्लाद , हत्यारे के पास होती है और दूसरी ओर देवता की मूर्ति की पूजा होती है । मंदिरों में लोहे के त्रिशूल , चक्र आदि चिन्ह रखे जाते हैं । पारस के पास किसी भी किस्म का लोहा चला जाये चाहे कसी की छुरी हो या मंदिर में रखे जाने वाले चिन्ह , पारस दोनों में फर्क नहीं करता , वह दोनों को खरा सोना बना देता है । संत सूरदास जी प्रभु से प्रार्थना करते हुए कहते हैं हे प्रभु आप समदर्शी है आपके पास गुनाहगार भी आते है और पाक – पाकीज़ा भी आते हैं आप सब पर अपनी नज़रे – करम करते हैं और उनका उद्धार करते हैं ।
संत सूरदास जी की वाणी
प्रस्तुती राकेश खुराना