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Tag: ऍफ़ डी आई

लालू प्रसाद यादव को लोक सभा से बी जे पी ने हूट आउट किया:संसद साड़े तीन बजे तक के लिए स्थगित

Indian Parliament


ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर लोक सभा में में जारी बहस के दौरान लगभग सवा तीन बजे जैसे ही सरकार को बाहर से समर्थ दे रहे आर जे डी के लालू प्रसाद यादव बोलने के लिए खड़े हुए तभी भाजपा के एक सदस्य ने कहा कि लालू प्रसाद यादव तो सत्ता पक्ष के हैं इस पर लालू प्रसाद ने भड़क कर भाजपा सदस्य को जम्हूरा कह कर चुप कराने का प्रयास किया इस एक शब्द[जम्हूरा]को अनपार्लियामेंट आचरण बता कर भाजपा के सदस्यों ने शोर मचा कर लालू प्रसाद को बोलने नहीं दिया |तब चेयर पर्सन ने इस शब्द को संसदीय कार्यवाही से निकालने के आदेश दे दिए |संसदीय मंत्री कमल नाथ ने भी भाजपा नेता और लालू प्रसाद यादव दोनों को संयम बरतने का आग्रह किया मगर लालू प्रसाद अपने शब्द जम्हूरा को असंसदीय मानने से इंकार करके इस शब्द के मायने खिलाड़ी बताते रहे|भाजपा के सदस्य भी शोर मचाते रहे लालू प्रसाद हार कर बिना बोले ही बैठ गए मगर सदन में शोर थमने का नाम नहीं ले रहा था इस पर व्यवस्था बनाने के लिए लोक सभा को सादे तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया |

मैकडानल्ड्स ने सुषमा स्वाराज के आरोप को नकारते हुए स्थानीय सामान की खरीद का दावा किया मगर आंकड़े नहीं दिए

फास्ट फूड श्रृंखला मैकडानल्ड्स ने विपक्ष की नेता श्रीमति सुषमा स्वराज के संसद में दिए गए ब्यान को खारिज करते हुए यह दावा किया है कि उसके उत्पादों में जिन भी सामग्रियों का इस्तेमाल होता है उनकी खरीद देश[भारत] में ही की जाती है।मैकडॉनल्ड्स इंडिया नॉर्थ ऐंड ईस्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम बक्शी ने एक बयान में कहा, ‘भारत में अपना कारोबार शुरू करने से पहले मैकडॉनल्ड्स ने सरकार से यह वादा किया था कि वह पूरा कच्चा माला स्थानीय लेवल पर ही खरीदेगी। हम विश्वास और गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमारे उत्पादों में जिन भी चीज़ों का इस्तेमाल होता है, उनकी खरीद देश में की जाती है। इनमें फ्रेंच फ्राइज भी शामिल हैं लें इसके साथ ही यह भी जोड़ा गया है कि जब स्थानीय लेवल पर चीज़ें नहीं मिल पातीं, तभी उन्हें बाहर से मंगवाया जाता है| यह ब्यान श्रीमति सुषमा स्वराज द्वारा संसद में लगाए गए आरोप के तत्काल पश्चात आया है लेकिन कम्पनी ने इस विषय में कोई आंकडे नहीं जारी किये हैं|

मैकडानल्ड्स


इसके अलावा कल मंगलवार को टी वी चैनल आई बी एन ७ द्वारा आयोजित डिबेट में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने यह आरोप भी लगाया था कि कंपनी ना केवल स्थानीय सामान की उपेक्षा कर रही है मगर बीते सालों में करोड़ों डालर्स कमा कर बिना आयकर दिए विदेश ले गई है|संभवत इसीलिए ऍफ़ डी आई का खुदरा व्यापार में निवेश का विरोध किया जा रहा है|
गौरतलब है कि श्रीमति सुषमा स्वराज ने संसद में ऍफ़ डी आई के लिए खुदरा व्यापर के दरवाजे खोले जाने का विरोध स्वरुप कहा था कि मैकडॉनल्ड्स आलू तक की खरीद विदेशों से कर रहा है।

मॉल दीव ने ऍफ़ डी आई के विरोधस्वरूप जी एम् आर के साथ 50 करोड़ डॉलर के अनुबंध को समाप्त किया

ऍफ़ डी आई पर बेशक भारत में एक आम राय बनाने के लिए आये दिन तमाम राजनीतिक दाव पेंच लड़ाए जा रहे हों मगर विदेशों में ऍफ़ डी आई का विरोध थमता नज़र नहीं आ रहा |अमेरिका के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा के बाद अब छोटे से देश मालदीव में भी ऍफ़ डी आई के विरुद्ध बयार बहाई जाने लगी है| मालदीव की नई सरकार के निर्देशों के आधार पर एमएसीएल ने 27 नवंबर को माले हवाई अड्डा बनाने के लिए जीएमआर को दिया गया अनुबंध खत्म कर दिया। यह अनुबंध जीएमआर के साथ साल 2010 के दौरान राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के कार्यकाल में किया गया था। लेकिन सिंगापुर हाई कोर्ट के स्टे के आधार पर जीएमआर हवाई अड्डे पर अपना काम जारी रखने को अमादा है| ।माले एयरपोर्ट के जीएमआर अनुबंध खत्म करने पर सिंगापुर हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद मालदीव ने कहा कि वह अपना फैसला नहीं बदलेगा। मालदीव ने कहा कि उसका फैसला न ही वापस लिया जा सकता है और न ही इस पर कोई मोल भाव किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले माले सरकार ने मालदीव हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण और परिचालन का भारतीय कंपनी जीएमआर समूह के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम का ठेका रद्द कर दिया था। सिंगापुर की अदालत ने उसके खिलाफ स्थगन आदेश जारी किया।लेकिन इस स्थगनादेश को मानने से इंकार करते हुए मॉल दीव ने न्यायाधीश के आदेश को ही अनुचित करार दे दिया है|

मॉल दीव ने ऍफ़ डी आई के विरोधस्वरूप जी एम् आर के साथ 50 करोड़ डॉलर के अनुबंध को समाप्त किया


मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद के प्रेस सचिव मसूद इमाद के अनुसार सरकार का फैसला बिलकुल साफ है और इसे वापस नहीं लिया जाएगा।
गौरतलब है कि सिंगापुर हाई कोर्ट ने जीएमआर को दिए गए 50 करोड़ डॉलर के अनुबंध को खत्म करने पर स्टे लगा दिया है इसके बावजूद मालदीव के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। यह अनुबंध माले हवाईअड्डे के आधुनिकीकरण के लिए किया गया था।सिंगापुर हाई कोर्ट के फैसले पर इमाद के अनुसार इस मामले में न्यायधीश सही नहीं था और उन्होंने कानून की सही तरीके से व्याख्या नहीं की। जहां मुआवजा पर्याप्त होता है वहां इस तरह के आदेश जारी नहीं किये जा सकते है।

ऍफ़ डी आई पर चर्चा के लिए सरकार ने नियम १९३ की जिद छोडी :किसी भी नियम में चर्चा को तैयार

संसद के शीत कालीन सत्र के चार महत्वपूर्ण दिन[छह करोड़ रुपय्ये] बर्बाद होने के उपरान्त केंद्र सरकार ऍफ़ डी आई पर नियम १९३ के तहत चर्चा कराने की अपनी जिद छोड़ कर किसी भी धारा में चर्चा कराने को राजी हो गई है| रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर विपक्ष के विरोध का सामना कर रही केंद्र सरकार ने आज मंगलवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर संसद में किसी भी नियम के तहत चर्चा कराए जाने के लिए तैयार है, लेकिन इस बारे में अंतिम निर्णय लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ही लेंगी.
यूपीए की समन्वय समिति की आज मंगलवार को हुई बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा, “केंद्र सरकार किसी भी नियम के तहत चर्चा कराए जाने के खिलाफ नहीं है. हम मतदान को लेकर चिंतित नहीं हैं.”
खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों के हंगामे के कारण मंगलवार को लगातार चौथे दिन संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही बाधित हुई. इसी के मद्देनजर यूपीए की समन्वय समिति की बैठक बुलाई गई थी|
श्री कमलनाथ ने कहा, “बैठक में शामिल अत्यधिक सदस्यों ने किसी भी नियम के तहत चर्चा कराए जाने का समर्थन किया. इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष को अवगत कराऊंगा. इस पर फैसला वही करेंगी.”
बीजेपी और वामपंथी दल इस मुद्दे पर वोटिंग के प्रावधान वाले नियम 184 के तहत चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं, हालांकि दूसरे दल सिर्फ इस पर बहस की मांग कर रहे हैं और वे बहस के हक में नहीं हैं|बीते दिन स्वास्थ्य मंत्री ग़ुलाम नबी आजाद की डी एम् के के करूणानिधि से हुई मुलाकात के बाद सरकार अपने यूं पी ऐ को एक जुट रखने में सक्षम दिख रही है तभी वोटिंग करने के लिए राजी हो गई लगती है|

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बड़े दिल वाले विजय माल्या ने कर्मचारियों का दिल तोड़ा दीवाली पर अपनी तिजोरी को नही खोला

किंगफिशर एयरलाइंस के

दिल वाले माल्या ने कर्मचारियों का दिल तोड़ा किंग फिशर एयर लाईन्स के कर्मियों को वेतन देने के लिए दीवाली पर अपनी तिजोरी नही खोली

नतीजतन करीब 3,000 कर्मचारी अंधेरे में रहने को मजबूर हुए| कर्मचारियों को अब तक मई महीने की सैलरी नहीं दी गई है। जैसी की उम्मीद थी मैनेजमेंट एक बार फिर बकाया वेतन देने के अपने वादे से मुकर गया। जबकि मैनेजमेंट ने दीवाली तक बकाए का भुगतान करने का दावा किया था। बेशक कंपनी घाटे में चल रही है लेकिन डियाजियो से करार के बाद कुछ उम्मीद जगी थी मगर इस बेदिली से लगता है कि माल्या अपनी एयर लाइंस के लिए भी किसी विदेशी निवेशक का इंतज़ार करेंगें|
गौरतलब है कि एयरलाइंस कंपनी किंगफिशर ने अपने कर्मचारियों को इस साल मई से तनख्वाह नहीं दी है। इसी वजह से कंपनी के इंजीनियर और पायलट 1 अक्तूबर को हड़ताल पर चले गए थे। कंपनी के सीईओ संजय अग्रवाल की ओर से दिवाली तक तीन महीने का बकाया वेतन देने के वादे के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल वापस ले ली थी।
दुनिया की दिग्गज शराब कंपनी डियाजियो ने विजय माल्या की शराब कंपनी यूनाइटेड स्प्रिट्स का अधिग्रहण करने की घोषणा की है. विजय माल्या की इस कंपनी ने अपनी 53.4 फीसद हिस्सेदारी ब्रिटिश कंपनी को 11,166.5 करोड़ रुपये में बेच दी है. यह इस साल हुए सबसे बड़े सौदों में से एक है.. यह करार ऐसे समय हुआ है जब विजय माल्या की विमानन कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस नकदी संकट के चलते उड़ान नहीं भर पा रही है.कंपनी 9,000 करोड़ रुपये के भारी भरकम घाटे में है और उस पर 17 बैंकों का 7,500 करोड़ रुपये बकाया है. उम्मीद की जाने लगी थी कि डियाजियो से मिलाने वाले धन से एयर लाइंस को बचाने का प्रयास किया जाएगा| मगर माल्या ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि प्रॉफिट वाली कंपनियों से फंड्स यहाँ डायवर्ट नहीं होंगे| अपनी उसी बात को दोहराते हुए कहा है कि डियाजियो से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल किंगफिशर को पटरी पर लाने में नहीं किया जाएगा. | अब माना जा रहा है कि इससे वे बैंकों का कर्ज चुका सकते हैं. ऐसा करने से न सिर्फ उनकी साख बची रहेगी बल्कि बैंकों से आगे कर्ज लेने में दिक्कत भी नहीं होगी.इसके अलावा किंगफिशर के कर्ज के लिए उन्होंने जो संपत्ति गिरवी रखी है या फिर यूबी समूह की जो बैंक गारंटी दी है उसे भी बचाया जा सकेगा|इसके अलावा . एयरलाइन के लिए भी मैं बेहतर काम करने का आश्वासन भी आया है|
इन सब बातों से एक विचार तो आता है कि डियाजियो से मिलने वाले धन से एयर लाईन्स कर्मियों को खुश होने की जरूरत नहीं है |उन्हें अपनी तनख्वाह के लिए किसी विदेशी निवेशक[ऍफ़ डी आई ]के लिए प्रार्थना करते रहना होगा|

नसबंदी के राजनीतिक दुष्प्रभाव की एल पी जी के रूप में पुनरावर्ती की संभावना दिखने लग गई है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी
ओये झाल्लेया देखा हसाडी अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी की लीडरशिप का कमाल ।सूरज कुण्ड में संवाद बैठक का आयोजन करके उन्होंने कांग्रेसी मंत्रियों को जनता से संवाद स्थापित करके 2014 के मार्ग को आसान करने को कह दिया है । ऍफ़ डी आई को इंडिया में लाकर जहाँ सड़े गले देसी उद्योगों में जान डाली जा रही हैं वहीं अमेरिका में डेमोक्रेट बराक ओबामा को भी जितवा दिया है और तो और सूरज कुण्ड तक बस में सफ़र किया और मित्वियतता के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है ।ओये अब तो 2014 में हसाडी सरकार फिर बने ही बने।

नसबंदी के राजनीतिक दुष्प्रभाव एल पी जी के रूप में

झल्ला
मेरे चतुर सुजान जी यह ठीक है कि आपजी की लीडर वाकई लोह महिला की छवि बनाने में लगी है मगर इनकी सरकार की नीतियाँ कुछ उलटा ही सन्देश दे रही है। उदहारण के तौर पर इसी संवाद बैठक में कांग्रेसियों ने एल पी जी कैपिंग के विरुद्ध चेतावनी दे दी है।इससे पहले एन सी पी भी आप की सरकार को आम आदमी की रसोई से दूर रहने की सलाह दे चुकी है। और तो और राय बरेली में श्रीमती प्रियंका गाँधी को भी रसोई गैस से होने वाले राजनितिक नुक्सान के विषय में बताया जा रहा है।मुझे याद आता है कि इमरजेंसी के दौरान देश की आबादी कम करने के लिए नस बंदी का अभियान चलाया गया था बेशक यह देश हित में था मगर जिस प्रकार जबरदस्ती से यह अभियान चलाया गया उसके नकारात्मक नतीजे मिले और अच्छे अच्छों की कुर्सियां खिसक गई।अब ये एल पी जी की कैपिंग कर दी गई है| महंगी करने के बावजूद भी आम आदमी की पहुँच से दूर की जा रही है| संयुक्त परिवार को कई टुकड़ों में दिखाने को विवश किया जा रहा है| इस विशेष शाक थेरेपी नीति से आम परिवार त्रस्त हैं ।ऐसे में एतिहासिक नसबंदी के राजनीतिक दुस्प्रभाव की २०१४ में पुनरावर्ती की संभावना तो दिखने लग गई है।

ऍफ़ डी आई की इजाजत जरुरत के मुताबिक होनी चाहिए

भारत में विकास और आर्थिक सुधार के नाम पर विदेशी निवेश को लेकर रोज़ाना कोई न कोई विवाद या विरोध उठ रहा है|भारत और इंडिया में आई गहराई लगातार बढाने के आरोप लग रहे हैं और सरकार इनसे जूझ रही है|ऐसा लगने लगा है कि देश में जरूरतों के मुताबिक़ अगर ऍफ़ डी आई को इजाजत दे दी जाये तो उसका विरोध कम होगा और विकास और जन संतोष ज्यादा होगा|
दुर्भाग्य से हमारे पहले से विकसित बाज़ारों में विदेशी घुसपैंठ को बढावा दिया जा रहा है जिसके फलस्वरूप पीछे रह गए राजनीतिकों को भी पावँ जमाने का मौका मिल रहा है|खुदरा+पेंशन+बीमा आदि ऐसे ही छेत्र हैं जहां विरोध ज्यादा हो रहा है और सरकार भी भरोसा जीतने में विफल हो रही है|अभी तक फ़ैल होने वाले देसी या विदेशी व्यापारी उपभोक्ताओं को उनके देय लौटा नहीं पाए हैं|कुबेर फायनेंस +सहारा+गरुडा आदि अनेको उधारण हैं इनके अलावा रिलायंस +आपका बाज़ार+सुभिक्षा खुदरा से बहार निकल रहे हैं|किंग फिशर एयर लाईन्स अपने कर्मिओं को सात माह का वेतन नहीं दे पा रही है| डेक्कन + एम् डी एल आर एयर लैंस बंद हो चुकी हैं |एम् डी एल आर और किंग फिशर के कर्मी आत्म हत्या को मजबूर किये जा रहे है|मगर सरकार किसी भी दिशा से हस्तक्षेप करने से कतरा रही है||इसीलिए विदेशी निवेश को आज्ञा देने से पहले देश वासिओं को सुरक्षा की गारंटी दिया जाना जाना जरुरी है|
यहाँ में अपनी बात के समर्थन में एक उदहारण देना चाहूंगा|अमेरिका के एक छोटे से शहर अल्बर्किकी में कोई विशेष पिकनिक सपाट या वीक एंड मनाने के लिए कोई स्थान नहीं है|लेकिन इस शहर के समीप व्हाईट सैंड के नाम से एक रेगिस्तान है|यहाँ पर इसका विकास किया गया अब यह एक लोक प्रिय और अति व्यस्त छेत्र बन गया है यहाँ लोग बाग आते हैं एन्जॉय करते हैं और आर्थिक विकास भी हो रहा है|ऐसे ही भारत में भी अनेक छेत्र है जहां विकास की

ऍफ़ डी आई की इजाजत जरुरत के मुताबिक होनी चाहिए

बेहद जरुरत है और विकास के लिए ऍफ़ डी आई की जरुरत है|तो क्या यहाँ के जंगलों को मंगल बनाने के लिए ऍफ़ डी आई को लाने के प्रयास किये जा सकेंगें???