Ad

Tag: एल पी जी

जनता बेचारी डीजल+पेट्रोल+बिजली और गैस को भूल कर शुद्ध पानी को भी तरसने लगेगीRevert To Traditional Source Of Energy


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया देखा हसाड़े सोणे मन मोहणे पी एम् डा कमाल |ओये रसोई गैस के एल पी जी सिलेंडरों की संख्या छह से बड़ा कर ९ कर दी है |ओये अब तो मध्यमवर्गीय महिलाओं की वोट भी समझो आगई हसाडी पॉकेट में|इसीलिए ये भाजपा वाले किल्स रहे हैं और इस जन हित की यौजना का भी विरोध करने लगे हैं|

झल्ला

इसके लिए तो बधाई लेकिन आधी ही स्वीकार करो क्योंकि डीजल के कीमतों को भी पहले से ही मुह फाड़े खडी तेल कंपनियों के हवाले कर दिया गया है |इन्होने पहला झटका ४५ पैसे बड़ा कर दे ही दिया है |अब ये तो आप भी मानोगे भारतीय रुपय्या की कीमंतों पर नियंत्रण करने के लिए भारतीय अर्थ शास्त्र कुछ ख़ास मन्त्र नहीं दे पा रहा है ऐसे में बाज़ार में रुपय्या कमजोर होगा तो डीजल +पेट्रोल+गैस+बिजली आदि ऊर्जाकी कीमतों में उबाल आयेगा ही|तेल उत्पादक के शेयर बढाने शुरूहो गए हैं +भाजपा को मुद्दा मिल गया है+एल ओ सी पर बड़े तनाव की तरफ से ध्यान डीजल +गैस

Revert Back To Old Natural Traditional Source Of Energy

पर आ गया है| इसके अलावा बड़ी कीमतों पर भी स्टेट टैक्स+सेन्ट्रल टैक्स आदि अनेको टैक्सेज वसूल कर आप लोगों की चांदी हो जायेगी और जनता बेचारी डीजल+पेट्रोल+बिजली और गैस को भूल कर शुद्ध पानी को भी तरसने लगेगी|हाँ आप लोगों को विकसित देशों से कोई तमगा जरूर मिल जाएगा |क्यों ठीक है न ठीक? वैसे झल्लेविचारानुसार नेचर बोले तो प्रक्रति के नज़दीक जाने में ही भलाई है शुरुआत के लिए रसोई में पेट्रो गैस के बजाय उपलों के उपयोग के लिए सदियों की रिसर्च का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए|

नसबंदी के राजनीतिक दुष्प्रभाव की एल पी जी के रूप में पुनरावर्ती की संभावना दिखने लग गई है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी
ओये झाल्लेया देखा हसाडी अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी की लीडरशिप का कमाल ।सूरज कुण्ड में संवाद बैठक का आयोजन करके उन्होंने कांग्रेसी मंत्रियों को जनता से संवाद स्थापित करके 2014 के मार्ग को आसान करने को कह दिया है । ऍफ़ डी आई को इंडिया में लाकर जहाँ सड़े गले देसी उद्योगों में जान डाली जा रही हैं वहीं अमेरिका में डेमोक्रेट बराक ओबामा को भी जितवा दिया है और तो और सूरज कुण्ड तक बस में सफ़र किया और मित्वियतता के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है ।ओये अब तो 2014 में हसाडी सरकार फिर बने ही बने।

नसबंदी के राजनीतिक दुष्प्रभाव एल पी जी के रूप में

झल्ला
मेरे चतुर सुजान जी यह ठीक है कि आपजी की लीडर वाकई लोह महिला की छवि बनाने में लगी है मगर इनकी सरकार की नीतियाँ कुछ उलटा ही सन्देश दे रही है। उदहारण के तौर पर इसी संवाद बैठक में कांग्रेसियों ने एल पी जी कैपिंग के विरुद्ध चेतावनी दे दी है।इससे पहले एन सी पी भी आप की सरकार को आम आदमी की रसोई से दूर रहने की सलाह दे चुकी है। और तो और राय बरेली में श्रीमती प्रियंका गाँधी को भी रसोई गैस से होने वाले राजनितिक नुक्सान के विषय में बताया जा रहा है।मुझे याद आता है कि इमरजेंसी के दौरान देश की आबादी कम करने के लिए नस बंदी का अभियान चलाया गया था बेशक यह देश हित में था मगर जिस प्रकार जबरदस्ती से यह अभियान चलाया गया उसके नकारात्मक नतीजे मिले और अच्छे अच्छों की कुर्सियां खिसक गई।अब ये एल पी जी की कैपिंग कर दी गई है| महंगी करने के बावजूद भी आम आदमी की पहुँच से दूर की जा रही है| संयुक्त परिवार को कई टुकड़ों में दिखाने को विवश किया जा रहा है| इस विशेष शाक थेरेपी नीति से आम परिवार त्रस्त हैं ।ऐसे में एतिहासिक नसबंदी के राजनीतिक दुस्प्रभाव की २०१४ में पुनरावर्ती की संभावना तो दिखने लग गई है।

अपने एल पी जी कनेक्शन अपने घर में अपने ही बच्चे के नाम करवाने के लिए डेड़ से दो हज़ार अतिरिक्त देने पड़ रहे हैं|

एल पी जी वितरण को लेकर लाभार्थिओं के लिए परेशानियां बड़ती ही जा रही हैं|अब कनेक्शन को ट्रांसफर कराने की सुविधा तो दे दी गई है मगर उसके लिए गारंटी या सिक्योरिटी की राशि करंट रेट्स से वसूली जा रही है इससे उपभोक्ताओं को

अपने एल पी जी कनेक्शन अपने घर में अपने ही बच्चे के नाम करवाने के लिए डेड़ से दो हज़ार अतिरिक्त देने पड़ रहे हैं|


परिवार बड़े हो गए एक घर में दो दो रसोईयान हो गई |राशन कार्ड चूंकी परिवार के मुखिया के नाम ही बनाता था सो गैस कनेक्शन भी केवल परिवार के मुखिया के नाम ही है और आज से नहीं दशकों पुराने हैं||अब कहा जा रहा है कि एक व्यक्ति के नाम केवल एक ही कनेक्शन होगा अर्थार्त दूसरा कनेक्शन अवैध हो गया|जो अभी तक वैध था वोह अचानक अवैध हो गया|अपने वैध हुए गैस कनेक्शन को पुनः वैध करवाने के लिए डेड़ से दो हज़ार का भुगतान किया जाना मजबूरी बन गया है|इससे गैस कंपनियों को बैठे बैठाए आतिरिक्त फंड मुहैय्या हो जाएगा| इसके अलावा नए कनेक्शन के लिए आवेदन तो लिए जा रहे हैं मगर कनक्शन के नाम पर केवल टाल मटौल ही दिखाई दे रहा है| गौर तलब है कि वर्तमान में इन गैस कंपनियों के पास लगभग ३०० बिलियन डॉलर्स का रिजर्व बताया जा रहा है|जिसे कहीं भी इन्वेस्ट नहीं किया जा सका है| विशेषग्य और कम्पनिओं के कर्ता धर्ताओं द्वारा इस रिजर्व को इन्वेस्ट करने के लिए रिक्वेस्ट की जा रहा है मगर सरकार ने अभी तक इस दिशा में कोई सुधारात्मक निर्णय नहीं लिया है|अगर विशेषज्ञों की सलाह मान कर इस हियुज रिजर्व को इन्वेस्ट कर लिया जाता तो उसकी आय मात्र से ही सब्सिडी का बोझ काफी हद तक कम हो सकता था| लेकिन ऐसा नहीं किया गया|अब आर्थिक सुधारों के नाम पर रसोई गैस पर सब्सिडी को खत्म करने की सरकारी कावायद शुरू हो गई है| इससे मध्यम [निम्न]वर्ग के साथ निम्न [मध्यम]वर्ग में भी हाहाकार मची है|टी एम् सी जैसी सहयोगी घटक ने तो केंद्र सरकार से समर्थन वापिस भी ले लिया है|उत्तर प्रदेश पूरी तरह विरोध में आ गया है| कांग्रेसी प्रदेशों को सब्सिडी वाले सिलेंडरों की तादाद ६ से ९ करने के निर्देश दे दिए गए हैं|इस सारी उठक बैठक के बाद भी गैस की समस्या विकराल होती जा रही है| कंप्यूटर पर डाटा फीड करने के नाम पर उपभोक्ताओं का उत्पीडन जारी है|सरकार और विपक्ष अपने स्कोर बनानेके लिए गोटियाँ ही फिट करने में लगे हैं|
इसी कड़ी में पहले कहा गया कि नए कनेक्शन अभी नहीं दिए जायेंगेंलेकिन दबाब पड़ने पर अब कहा जा रहा है कि जिन्हें आवंटन पत्र मिल चुका है उन्हें कनेक्शन दिया जा रहा है|यानि नए का विवरण कंप्यूटर में हाथों हाथ दर्ज़ किया जा रहा है|
तेल एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री आरपीएन सिंह के अनुसार डुप्लीकेट कनेक्शन खत्म करने और सॉफ्टवेयर अपडेशन का काम जारी है। इससे नया आवंटन पत्र जारी करने में सिर्फ तीन हफ्ते की देरी हो रही है।मंत्री ने साफ किया कि जिन लोगों को आवंटन पत्र मिल गया है उन्हें कनेक्शन दिया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि कंपनी और गैस एजेंसी का सॉफ्टवेयर अपडेट किया जा रहा है। जिससे कि साल में रियायती दर पर सिर्फ छह सिलेंडर देने के फैसले को अमल में लाया जा सके। साथ ही ‘एक पता पर एक कनेक्शन’ के लिए भी देशभर में सर्वे किया जा रहा है। ताकि रसोई गैस की कालाबाजारी रोकी जा सके। इन सब कामों में कम से कम तीन हफ्ते का वक्त लगेगा इंडियन ऑयल, भारत और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के देश में करीब 14 करोड़ उपभोक्ता हैं। इन कंपनियों की ओर से हर साल 100 करोड़ से अधिक गैस सिलेंडर जारी किए जाते हैं। तेल विपणन कंपनियां करीब 14 करोड़ उपभोक्तापओं को सेवाएं दे रही हैं और देशभर में हर वर्ष 100 करोड़ +सिलेंडर वितरित किये जाते हैं। । इसके साथ-साथ तीनों तेल कंपनियों के पास आवेदनकर्ता की जानकारी भेजी जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एक से ज्या दा कनेक्शनन नहीं जारी किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से एक उपभोक्ता को साल में सिर्फ 6 सब्सिडी वाले सिलिंडर दिए जाने के फैसले के बाद से तेल और गैस कंपनियों ने कनेक्शनों पर सख्ती करनी शुरू कर दी है।इसके बावजूद भी गैस की काला बाज़ारी को रोकने की कवायद मात्र रेगिस्तान में मृग तृष्णा ही लग रही है|