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Tag: औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी)

मेरी गल्ल मन्नो , नौकरियों की दौड़ छोड़ो ,झट से विदेशी डिग्री लो और पट से देसी हुकुमरान बन जाओ


झल्ले दी झल्लियाँ गल्ला

एक चिंतित बुद्दि जीवी

ओय झल्लेया ये तुहाडे कपिल सिबल ने कौन सा नया फुहाड़ा डाल दिया ओये हसाड़े मुल्क में पहले ही नौकरियां नहीं हैं प्रबंध कालेजों की सींटे भरने में पसीने छूट रहे हैं और अब काबिल सिब्बल के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने-अपने कैम्पस खोले जाने की इजाजत देने के लिए औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) तथा आर्थिक मामला विभाग (डीईए) को इस संबंध में प्रस्ताव भेज दिया है ओये पहले हसाड़े नौजवान बेशक बाहर पढाई के लिए जाते रहे हैं मगर उन्हें वहां नौकरियाँ मिलती रहीहैं और अब तो देश की कमी विदेश में जायेगी और बेरोजगारी बढायेगी|

झल्ला

अरे मेरे सोणे महानुभाव जी आप ये क्यों नहीं सोचते के पहले महात्मा गाँधी+जवाहर लाल नेहरु+ इंदिरा गाँधी+ राजीव गाँधी+राहुल गाँधी कपिल सिबल आदि आदि विदेशों में पढाई करके आये तब जाकर यहाँ हुकुमरान बने अब तो घर बैठे बैठे ही ४०० विदेशी यूनिवर्सिटी के टोप सरपर रख कर फोटो खिचवाने का सुनहरा मौका मिलेगा| भाई जीमेरी मानो तो छोटी मौटी नौकरियों को छोड़ो, झट से विदेशी डिग्री लो और पट से देसी हुकुमरान बन जाओ

विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए एक कंपनी के रूप में भारत में अपने कैम्पस खोलने का रास्ता साफ़ हो गया है

विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में अपने कैम्पस खोलने का रास्ता साफ़ हो गया है | मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम के तहत एक कंपनी के रूप में देश में विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने-अपने कैम्पस खोले जाने की इजाजत देने के लिए औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) तथा आर्थिक मामला विभाग (डीईए) को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के तहत नियम बनाने के लिए केन्द्र सरकार को प्रदत्त अधिकारों के तहत, मानव संसाधन विकास मंत्रालय यूजीसी [UGC ](विदेशी शिक्षण संस्थानों के कैम्पस की स्थापना और उनका संचालन) नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, ताकि विदेशी विश्वविद्यालय भारत में अपने कैम्पस स्थापित कर सकें और विदेशी उपाधि जारी कर सकें। मंत्रालय ने डीआईपीपी[ DIPP ] तथा डीईए[ DEA ] से नियमों के संबंध में सुझाव मांगे थे। डीआईपीपी तथा डीईए दोनों ने मंत्रालय के प्रस्ताव का समर्थन किया है।
प्रस्तावित नियमों के तहत यूजीसी द्वारा विदेशी शिक्षण संस्थानों (एफईआई)[FEI ] को एक बार विदेशी शिक्षा प्रदाता (एफईपी) [FEP ]के रूप में अधिसूचित करने के बाद एफईआई भारत में अपने कैम्पस खोल सकते हैं। एफईआई को निर्धारित पात्रता शर्तें पूरी करनी होगी। कोई भी एफईआई भारत में अपना कैम्पस खोलना चाहता है तो वह कंपनी अधिनियम 1956 के खंड-25 के अंतर्गत एक संघ के जरिए पंजीकृत होकर कैम्पस खोल सकता है। एफईआई को विश्व के शीर्ष 400 विश्वविद्यालयों में श्रेणीबद्ध किया जाएगा। नियमों के तहत आवेदन करने को इच्छुक सभी एफईआई बिना लाभ वाले वैधानिक संस्थाओं के रूप में काम कर रहे हों, साथ ही वे 20 वर्षों से संचालन में हों तथा देश के मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा मान्यता दी गई हो, या उस देश में मान्यता के अभाव में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति मान्यता प्राप्त प्रणाली के जरिए मान्यता दी गई हो।
मुख्य कैम्पस में विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध पाठ्यक्रम के अनुकूल ही एफईपी को अपने कैम्पस में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने होंगे। प्रत्येक एफईआई को एफईपी में अधिसूचित होने से पहले उन्हें कम से कम 25 करोड़ रुपए का कोष रखना होगा। यूजीसी अथवा इन नियमों के प्रावधान का उल्लंघन किए जाने के संबंध में एफईपी पर 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना किया जा सकता है। एफईपी द्वारा जारी की गई उपाधि को विदेशी उपाधि के रूप में मान्यता दी जाएगी।