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पान सिंह तोमर को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का पुरूस्कार: 14 भाषाओं की 38 फिल्मों को चुना गया

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ६०वे समारोह में २०१२ के लिए पुरुस्कारों की घोषणा कर दी गई है| डाकू बने एक खिलाड़ी के जीवन को चरितार्थ करने वाली फिल्म पान सिंह तोमर को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म चुना गया है ।।राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के लिए 14 भाषाओं की 38 फिल्मों को चुना गया है ।
टी धूलिया द्वारा निर्देशित इस फिल्म के लिए इरफान खान ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी दिया गया है|। इरफान ने इस फिल्म में राष्ट्रीय स्तर के एक धावक का किरदार निभाया है, जो बाद में चम्बल घाटी का दुर्दांत डकैत बन गया।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार इरफान और विक्रम गोखले को सामूहिक रूप से प्रदान किया गयाहै| 2012 के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा फिल्मकार बासु चटर्जी,+अरूणा राजे +स्वपन मलिक द्वारा की गई| मनोरंजन[Entertainment] प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मिलित रूप से हिंदी फिल्म ‘विकी डोनर+ मलयालम फिल्म उस्ताद होटल को मिला।
‘विकी डोनर के लिए ही अनु कपूर तथा डॉली अहलूवालिया को क्रमश: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया |

पान सिंह तोमर को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का पुरूस्कार: 14 भाषाओं की 38 फिल्मों को चुना गया

पान सिंह तोमर को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म का पुरूस्कार: 14 भाषाओं की 38 फिल्मों को चुना गया


सर्वश्रेष्ठ बाल अभिनेता का पुरस्कार हिंदी फिल्म ‘देख इंडिया सर्कस में अभिनय के लिए वीरेंद्र प्रताप तथा मलयालम फिल्म 101 चोदियांगल में अभिनय के लिए मिनन के नाम सामूहिक रूप दिया गया है।
कमल हासन की तमिल फिल्म ‘विश्वरूपम के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का राष्ट्रीय पुरस्कार बिरजू महाराज के नाम गया है
सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म की श्रेणी का पुरस्कार फिल्म विक्की डोनर के खाते में गया।
मुख्य पुरूस्कार इस प्रकार रहे
सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म- पान सिंह तोमर
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता – इरफान खान
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री – उषा जाधव (धाग)
सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म – विक्की डोनर
सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता – अन्नू कपूर (विक्की डोनर)
सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री- डॉली आहलूवालिया
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक – शिवाजी लोटन पाटिल (धाग)
सर्वश्रेष्ठ पटकथा – कहानी

महिला सुरक्षा बिल पर सरकार की सफाई:जल्द बाजी में नही गंभीरता से लाया गया यह बिल

देश के वित्त मंत्री और पी एम् के लिए कमल हासन के उम्मीदवार पी चिदंबरम ने अपने सहयोगी मनीष तिवारी के साथ आज महिला सुरक्षा बिल पर सरकार की सफाई दी और कहा है कि केंद्र सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है सरकार इसीलिए जल्द अध्यादेश लेकर आई है|यह जल्द बाज़ी में लाया गया नहीं है वरन गंभीरता से लाया गया है| चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने वर्मा कमेटी की सिफारिशों को नकारा नहीं है। विवादित अफ्स्पा पर बहुत चर्चा की जरूरत है। इसके बाद ही इसे अध्यादेश में शामिल किया जा सकता है।उन्होंने बजट सत्र में इस बिल को पास करा लेने का आश्वासन भी दिया | उन्होंने उम्मीद जताई कि मजबूत कानून से अपराध कम होंगे।चिदंबरम ने कहा कि जस्टिस वर्मा की सिफारिशों को नकारा नहीं गया है। आम राय नहीं बनने के चलते कुछ सिफारिशों को अध्यादेश में नहीं रखा गया है। उन सिफारिशों पर फिलहाल बहस की जरूरत है। वैवाहिक बलात्कार और कार्यस्थल पर उत्पीडन, किशोर न्याय कानून ,एएफएसपीए,आदि पर अलग अलग राय होने के कारण इन पर विस्तृत बहस को आवश्यक बताया गया |
महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा संबंधी अध्यादेश को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद आज ४ फरवरी सोमवार को वित्त मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मुख्य न्यायमूर्ति जे एस वर्मा समिति की सभी सिफारिशों को हालांकि इस अध्यादेश में शामिल नहीं किया गया है लेकिन समिति के किसी भी सुझाव को नामंजूर नहीं किया गया है।उन्होंने इस बात को मानने से इंकार किया कि सरकार ने अध्यादेश लाकर जल्दबाजी की है। चूंकि किसी आपराधिक कानून को बीती घटना[ Ex Post Facto]पर लागू नहीं किया जा सकता इसलिए तुरंत अध्यादेश लाने की आवश्यकता पडी।
किशोर न्याय कानून में संशोधन कर आयु सीमा कम करने की मांग के बारे में चिदंबरम ने कहा कि इसके लिए आम सहमति बनानी होगी उन्होंने कहा कि एएफएसपीए (बल विशेषाधिकार कानून) में संशोधन की मांग के प्रति भी अभी कोई आम सहमति नहीं है। उन्होंने कहा कि वैवाहिक बलात्कार और कार्यस्थल पर उत्पीडन जैसे मुद्दों पर आम सहमति के अभाव में, ही इन्हें अध्यादेश में शामिल नहीं किया गया है।चिदंबरम ने कहा कि अध्यादेश इसलिए लाया गया क्योंकि महिलाओं के खिलाफ अपराध ऐसा मामला है, जिसमें विलंब नहीं किया जा सकता। केवल अध्यादेश के जरिए ही कानून तत्काल बनाया जा सकता है जबकि विधेयक पारित कराने में समय लगेगा।अध्यादेश को केवल ‘ शुरूआती बिन्दु ’ बताते हुए चिदंबरम ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों सहित सभी वर्ग के लोगों को इस मुद्दे पर समर्थन देना चाहिए। वित्त मंत्री ने और अधिक त्वरित अदालतों के गठन की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इसके लिये और अधिक न्यायाधीशों की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुलिस बल विशेषकर सिपाही स्तर के कार्मिकों को अधिक संवेदनशील बनाने की भी आवश्यकता है।

कमल हासन ने मुस्लिमो को मनाया तो हाई कोर्ट ने विश्वरूपम के प्रदर्शन पर रोक का हथौड़ा चला दिया

निर्माता-निर्देशक-अभिनेता कमल हासन की फिल्म ‘विश्वरूपम’ चारों तरफ से घिर गई है|बीते दिन अगर एक अदालत ने फिल्म की रिलीज को ओ के कर दिया तो आज मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु में फिल्म की रिलीज पर अगले आदेश तक बैन के लिए न्यायिक हथौड़ा चला दिया गया है| मुस्लिमों के कुछ प्रतिनिधियों के साथ आज मीटिंग करके अनेकों सीन और डायलाग्स हटाने पर राजी नामा हो गया तो इस फैसले के खिलाफ कमल हासन ने सुप्रीम कोर्ट जाने को मजबूर होना पड़ रहा है |
२९ जनवरी को हाईकोर्ट की एक सदस्यीय बेंच ने विश्वरूपम पर से बैन हटा लिया था और तमिलनाडु में इसके प्रदर्शन की इजाजत दे दी थी। लेकिन कमल ने न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं मिलने तक फिल्म का प्रदर्शन नहीं किया। अब डबल बेंच ने इसपर रोक लगाते हुए अगली सुनवाई सोमवार को तय की है।
आश्चर्यजनक रूप से इस फिल्म के टाईटल [विश्वरूपम] को लेकर पहले हिंदूवादी संगठन हिंदू मक्कल काची और अब फिल्म में पाक कुरान की कुछ आयातों के कारण तमिलनाडु में मुस्लिम मुनेत्र कडगम और केरल में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया नामक मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं|
शीर्षक को लेकर विरोध शांत हुआ तो फिल्म में पवित्र कुरान से संबंधित कुछ दृश्योंपर बवाल हो गया |अब टी वी चैनलों पर आ कर बताया जा रहा है कि कमल हासन का इस मामले में विरोध कर रहे मुस्मिल संगठनों के साथ समझौता हो गया है। फिल्म से विवादित डॉयलाग भी हटाने के लिए कमल ने माथा टेक दिया है
इस सारे घटना क्रम से व्यथित कमल हासन का कहना है कि उनके विरुद्ध राजनीतिक खेल खेला जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया है कि आखिर जयललिता सरकार की उनसे क्या दुश्मनी है? क्या उनकी फिल्म को किसी साजिश का शिकार बनाया गया है?अब श्रीलंका और मलेशिया ने भी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है|

कमल हासन विश्वरूपम


आज भी कई शहरों में फिल्म का विरोध-प्रदर्शन जारी रहा अपनी फिल्म ‘विश्वरूपम’ के प्रदर्शन पर रोक को लेकर अभिनेता-निर्माता कमल हासन ने भावुक होते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार नहीं चाहती कि वह राज्य में रहें और वह रहने के लिए देश या विदेश में किसी ‘धर्मनिरपेक्ष’ स्थान की तलाश कर सकते हैं। मुझे तमिलनाडु को छोड़कर कश्मीर से लेकर केरल तक धर्मनिरपेक्ष राज्य की तलाश करनी होगी। तमिलनाडु सरकार मुझे यहां नहीं देखना चाहती है।इसके पीछे मुख्य मंत्री जयललिता के धुर्र विरोधी वित्त मंत्री पी चिदम्बरम से कमल हासन के नजदीकी रिश्तों को भी देखा जा रहा है|
इस ९५ करोड़ की इस फिल्म के साथ इस प्रकार के खेल से कई सवाल उठ खड़े हुए है सबसे पहले सेंसर बोर्ड की विश्वसनीयताऔर उपयोगिता पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है|जब सेंसर बोर्ड ने एक बार रिलीज के लिए सर्टिफिकेट जारी कर दिया तब राज्य सरकार या ही कोर्ट की तरफ से रूकावट क्या जायज हो सकती है |वोह भी तब जब सुप्रीम कोर्ट एक अलग केस में यह निर्णय दे चुकी है कि सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के बाद रुकावट नहीं होनी चाहिए | इसके साथ ही राज्य और केंद्र के रिश्तों में आई कटुता पर भी चर्चा की जानी चाहिए क्योंकि यह केवल एक फिल्म का नहीं वरन देशकी अर्थ व्यवस्था और फिल्म उद्योग से जुड़े एक बड़े समाज के अस्तित्व की भी है|