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Tag: कांग्रेस फिर फंसी नरेन्द्र मोदी के जाल में

नरेन्द्र मोदी के पुराने मन्त्र में फिर फंस गए गुजरात में बेचारे कांग्रेसी

गुजरात में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया दिल्ली की कुर्सी पर नज़रें गडाए नरेन्द्र मोदी ने हमेशा की तरह गांधी परिवार [अब सोनिया] पर हमला बोल कर चुनावी गतिविधिओं को खुद के इर्द गिर्द कर लिया है या कहा जा सकता है कि मोदी ने कांग्रेस को फिर अपने पुराने जाल में फांस ही लिया है|
श्री मोदी हमेशा से ही कांग्रेस की नीतियों की आलोचना करने की बजाय गांधी परिवार पर हमले करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते आये हैं|। और इसी खेल में कांग्रेसी फंसते आये हैं और लगातार अपनी ज़ुबानी गलतिओं के कारण गुजरात की सत्ता से दूर होते जा रहे हैं|
ऎसा पहली बार नहीं है कि जब उन्होंने ने सोनिया गांधी पर हमला किया हो। कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी पर लगातार हमले करते ही आ रहे हैं।

लाल मिर्ची या हरी मिर्ची

2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त मोदी ने कहा था कि सोनिया गांधी जगन्नाथ यात्रा का क्यों विरोध कर रही है? सोनिया गांधी को ये भी पता नहीं है कि लाल मिर्ची बोई जाती है या हरी मिर्ची बोई जाती है। सोनिया तब अनजाने में गुजरात की भावनाओं के विरुद्ध बोल गई | इसका खमियाजा कांग्रेस पार्टी को भुगतना पडा था|

जर्सी गाय

2004 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की भारत उदय यात्रा में सोनिया गांधी को जर्सी गाय कहा था। हालांकि बाद में मोदी को माफी मांगनी पड़ी थी।

सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा

2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में मोदी ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि अगर कोई भारतीय इटली का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता तो इटली का नागरिक भारत का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है?

राहुल गांधी अन्तराष्ट्रीय नेता

इस साल 17 सितम्बर को मोदी ने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पर हमला करते हुए उन्हें अंतरराष्ट्रीय नेता करार दिया था।
मोदी ने कहा था कि राहुल गांधी तो इटली से भी चुनाव लड़ सकते हैं।

महिलाओं के प्रति संवेदना

गैस सिलेण्डर पर सब्सिडी में कटौती को लेकर मोदी ने 14 सितंबर को कहा था कि सोनिया गांधी महिलाओं के प्रति संवेदनशील नहीं हैं।

खुदरा में ऍफ़ डी आई

और इटली
15 सितंबर को मोदी ने कहा था कि रिटले में एफडीआई की अनुमति इटली के व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए दी गई है।
इसीलिए इस पुराने आजमाए हुए मन्त्र को मोदी ने हाल ही में फिर जपा और सोनिया पर आरोप मड़ा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की विदेश यात्राओं पर सरकार ने 1880 करोड़ रूपए खर्च किए हैं
अब इस की प्रतिक्रिया का होना स्वाभाविक ही था पुराणी गलतिओं से सबक नहीं लेने वाले कांग्रेसी इस मोदी जाल में फंस गए|
[१] सबसे पहले हमेशा की तरह तैयार बैठे दिग विजय सिंह ने अपनी जुबान चलाई मोदी को निशाना बनाया और मोदी के साथ आर आर एस को भी झूठा और मक्कार बताया|
[२] मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने मोदी को झूठा और विरोधी बताते हुए उन्हें अपना नाम तक बदलने के सलाह दे डाली
[३] मंत्री पद की लाईन में लगे बेचारे हरीश रावत संभलते संभलते भी कह गए कि इतनी बड़ी बात की प्रतिक्रिया तो होती ही है| बताते चलें की दिल्ली के दंगों पर राजीव गांधी[अब स्वर्गीय] के मुह से भी निकल गया था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है|
[४]काग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शकर सिंह वाघेला ने मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि गाधीनगर में गोडसे समर्थकों की सरकार बैठी है। हिंसा के ये पुजारी गुजरात को बर्बाद करने पर तुले हैं। आरएसएस की शाखा में कभी अपने साथी मित्र रहे मोदी पर झूठे प्रचार का आरोप लगाते हुए श्री वाघेला ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश के लोगों को नए जिलों व तहसीलों का सपना दिखाकर गुमराह कर रहे हैं।
[५] मोदी को कभी मौत का सौदागर कहने से कांग्रेस को हुई हानि का आंकलन करने में विफल सांसद बीके हरिप्रसाद ने नरेंद्र मोदी पर बयान दिया कि उन्हें पूरी दुनिया में हत्यारा के नाम से जाना जाता है। अब मोदी झूठे भी हैं| इससे मोदी मानसिकता दिख रही है|
हो सकता है कि यह कांग्रेस की पार्टी लाईन नहीं हो |हो सकता है कि अपनी अध्यक्षा के नज़रों में चड़ने के लिए नेताओं ने अपनी जुबान की खुजली मिटाई हो|क्योंकि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने गुजरात के राजकोट के रैली में मोदी पर कोई व्यतिगत टिपण्णी नहीं की|यहाँ तक कि अपने ऊपर लगे १८८० करोड़ की यात्राओं के आरोप को भी टच नहीं किया|
वोह शायद यह समझ चुकी हैं कि हत्यारा, दंगा, हिंदू-मुस्लिम जैसे शब्दों से भरे ब्यान नरेन्द्र मोदी की राजनीति को चमकाने वाले औज़ार हैं| इन्ही औजारों का इस्तेमाल करते हुए मोदी ने 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के राजधर्म की सीख को रद्दी की टोकरी में डाल दिया और भावनाओं में उबाल लाकर पोलिटिकल एनकैश किया|। 2007 में सोनिया के मौत के सौदागर वाले बयान को गुजरात की अस्मिता का सवाल बनाकर वोटों की फसल काटी। अब चूंकि कांग्रेसी पुराने मोदी मन्त्र से फिर से सम्मोहित होते जा रहे हैं इसीलिए सबसे ज्यादा खुश मोदी ही होंगे|उनका पुराना मन्त्र काम आया | गुजरात में लोकायुक्त न होने, वैट की दरें ज्यादा होने, किसानों की खुदकुशी या फिर सौराष्ट्र में पानी के अभाव से मची त्राहि-त्राहि जैसे सवाल अब बैमानी हो चले हैं अब चुनाव मोदी बनाम केंद्र होता जा रहा है|