Ad

Tag: ‘देश बचाइए

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के लिए इस्लामी विद्वान डॉ. ताहिरुल कादरी ने राजनीतिक अलख जगाई

कनाडा प्रवास के पश्चात पाकिस्तान लौटे इस्लामी विद्वान डॉ. ताहिरुल कादरी ने अब पाकिस्तान ने संसद भंगकरने के लिए सरकार को आज ग्यारह बजे तक का अल्टीमेटम दे दिया है|आश्चर्यजनक रूप से कादरी के साथ लाखों की तादाद में लोग जुड़ने लगे हैं| कादरी के समर्थक संसद, विधानसभाओं को भंग करने और सरकार के इस्तीफे समेत कई मांगों को लेकर संसद के बाहर डी चौक जिन्नाह एवेन्यु पर जमा होने शुरू हो गए हैं। कादरी ने कल इस्लामाबाद से लाहौर के लिए रैली निकाली और लोगों से ‘देश बचाइए, सरकार नहीं’ नारे के साथ इससे जुड़ने का आह्वान किया था। कादरी का कहना है कि वह अब यहां से तभी हटेंगे, जब मुल्क की हुकूमत बदल जाएगी।कादरी के इस आंदोलन की दो वजहें बताई गई हैं- [१], ‘भ्रष्ट’ सरकार से छुटकारा [२]’ईमानदार’ लोगों की अंतरिम सरकार के तहत चुनाव सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना
पाकिस्तान में यह सारा घटनाक्रम देश में चुनावों से महज़ चार महीने पूर्व ही हो रहा है| संसद के बाहर जमा अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कादरी ने सोमवार की रात कहा, ‘ऑफिसों में बैठे ये लोग (प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आवास की ओर इशारा करते हुए) अब भूतपूर्व हो चुके हैं अब संसद और विधानसभा को भंग किया जाए नहीं तो लोग खुद ही फैसला लेने लगेंगे और पीपल्स असेंबली कमान संभाल लेगी। कुछ दिनों पहले कनाडा से पाकिस्तान लौटे कादरी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि जुडिशरी भ्रष्ट राजनेताओं को कोई भी पद ग्रहण करने से रोके। उन्होंने यह भी कहा कि इस साल प्रस्तावित चुनाव को तब तक के लिए टाल दिया जाए जब तक कि देश से भ्रष्टाचार की महामारी का खात्मा न हो जाए।
प्रभावशाली धार्मिक नेता ताहिरुल कादरी ने पाकिस्तान में इसी साल होने वाले चुनाव से पहले सुधारों को लागू करने की मांग को लेकर लाहौर से इस्लामाबाद तक की रैली निकाली है। वह इसके माध्यम से सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं। धार्मिक नेता की रैली को भारी जनसमर्थन मिला है। पहले उन्होंने दावा किया था कि उनकी रैली में करीब 10 लाख लोग शामिल होंगे।तहरीक मिनहाज-उल-कुरान नामक संगठन चलाने वाले कादरी पिछले महीने ही कनाडा से पाकिस्तान लौटे हैं। उन्होंने कनाडा में करीब सात साल का वक्त बिताया। । वह वर्तमान चुनाव आयोग को भी भंग करने की मांग कर रहे हैं। लोगों से मार्च में शामिल होने का आह्वान करते हुए कादरी ने कहा है, ‘यदि आप बाहर नहीं निकले, यदि आपने मेरे हाथ मज़बूत नहीं किए तो अगली पीढ़ी इस दिन पर अफसोस करेगी।

डा. कादरी

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के लिए इस्लामी विद्वान डॉ. ताहिरुल कादरी ने राजनीतिक अलख जगाई


पाकिस्तान जैसे कंट्टर देश में भी प्रगतिशील मुस्लिम विद्वान के तौर पर जाने जाते हैं। ‘फिरका परस्ती का खात्मा’ किताब लिखने वाले इस विद्वान ने 11 सितंबर, 2001 के आतंकी हमले की सबसे पहले निंदा की थी। आतंकवाद के खिलाफ फतवा देने वाले एक विद्वान हैं। सूफी विचारधारा को मानने वाले कादरी ने सऊदी अरब में शिक्षा ग्रहण की और पंजाब [पाकिस्तान] की यूनिवर्सिटी में ‘अंतरराष्ट्रीय संविधान कानून’ विषय के प्रोफेसर रहे हैं और मिनहाजुल कुरआन इंटरनेशन के संस्थापक हैं।क्यू टी वी से भी जुड़े हैं

इस्लाम से खारिज

बीते साल[मार्च] डा. ताहिरुल कादरी को इस्लाम से खारिज किया जा चुका है यह फतवा बरेली मरकज ने दिया है। मुफ्ती-ए-आजम अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां ने उन्हें यहूदियों का एजेंट करार दिया है। पिछले दिनों मुंबई में डा. ताहिर की तकरीर के बाद बरेलवी उलेमा ने यह कदम उठाया।
पाकिस्तान के नामवर इस्लामिक विद्वान डा. कादरी ने पिछले दिनों मुंबई में कई जगह तकरीर की थी। उन्होंने यहूदी औैर नसारा [ईसाई] को अहले ईमान बताया था। यह भी कहा था कि मस्जिद उनके लिए भी इबादत को खुली हैं।
उन्होंने देवबंदी, वहाबी, सुन्नी फिरकों में विरोध को शाब्दिक करार दिया और कहा था कि एक-दूसरे के पीछे नमाज पढ़ी जा सकती है, वह खुद भी ऐसा करते हैं। इस्लाम में चार इमाम हैं, लिहाजा पांचवा मसलक [धार्मिक विचार] नहीं हो सकता।
बदलाव की आवाज़ बुलंद करने वाले कादरी अपने बयानों में पाकिस्तान की आर्मी का गुणगान करने में पीछे नहीं दिख रहे उन्होंने तालिबान के विरुद्ध सेना के अभियान को खुले आम सराहा है| इए में सेना से उनकी नजदीकी क सहक की नज़र से देखना लाजमी हो जाता है इसके अलावा सीमा[एल.ओ.सी] पर युद्ध विराम का उल्लघन और जनरल कयानी की सेवानिवृति से भी कई सवाल उठ रहे हैं [१]क्या पाकिस्तान में जम्हूरियत का दौर समाप्त होने जा रहा है [२]क्या जनरल कयानी किसी नई भूमिका के लिए कमर कस रहे हैं[३]क्या पाकिस्तान में कट्टरपंथी फिर से सत्ता में आने वाले हैंया फिर पश्चिमी ताकतों ने वर्तमान सरकार का विकल्प चुना हैआदि आदि इन सवालों का उत्तर तलाश कर ही भारत को पाकिस्तान के साथ एल ओ सी विवाद को सुलझाने के लिए कदम बढाना होगा