Ad

Tag: निंदनीय वचन फलदायी नहीं होते

लक्ष्य हीन मानव जीवन व्यर्थ है: निंदनीय वचन फलदायी नहीं होते

अधम वचन काको फल्यो , बैठि ताड़ की छांह ।
रहिमन काम न आय है , ये नीरस जग मांह ।

Rakesh Khurana On Sant Rahim Das

अर्थ : जैसे ताड़ की छाया में बैठकर कोई फल नहीं मिलता , इसी प्रकार निंदनीय वचन फलदायी नहीं होते । संत रहीम दास जी कहते हैं – जो मनुष्य संसार में आकर किसी काम के नहीं होते , वे मनुष्य संसार में रसहीन होते हैं ।
भाव : इस संसार में निष्प्रयोजन जीवन जीना व्यर्थ है । यदि जीवन का कोई लक्ष्य नहीं है , जीवन किसी के काम नहीं आता है तो ऐसे जीवन का लाभ क्या ? संत रहीम के कहने का आशय यही है कि जीवन सार्थक होना चाहिए । कभी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए ।जीवन को ऐसा बनाना चाहिए , जो दूसरों के काम आ सके । दूसरों के साथ सहयोग करके ही आदमी यश पाता है और लोकप्रिय होता है ।
संत रहीम दास जी
प्रस्तुति राकेश खुराना