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बारहवें [पूर्व]प्रधान मंत्री पुरुषार्थी इंद्र कुमार गुजराल नहीं रहे :श्रधान्जली

पूर्व प्रधानमंत्री पुरुषार्थी+स्वतन्त्रता सेनानी इंद्र कुमार गुजराल का आज शुक्रवार दोपहर साड़े तीन बजे निधन हो गया। श्री गुजराल को 19 नवंबर को गुडगांव के मेडिसिटी मेदांता हास्पिटल में फेफड़े के संक्रमण के इलाज़ के लिए भर्ती कराया गया था। पिछले दो-तीन दिन से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। डॉ नरेश त्रेहान के नतृत्व में नौ डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल कर रही थी। अंतिम संस्कार कल शनिवार को दिल्ली में होगा। विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आए श्री गुजराल भारत के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। इसे पूर्व 1950 के दशक में वे एनडीएमसी के अध्यक्ष बने और उसके बाद केंद्रीय मंत्री बने और फिर रूस में भारत के राजदूत भी रहे। जमोस न्यूज़.काम परिवार की एक विनम्र श्रधान्जली |

बारहवें [पूर्व]प्रधान मंत्री पुरुषार्थी इंद्र कुमार गुजराल


अच्छे पड़ोसी संबंध को बनाए रखने के लिए ‘गुजराल सिद्धांत’ [डाक्टराइन] का प्रवर्तन करने वाले गुजराल कांग्रेस छोड़कर 1980 के दशक में जनता दल में शामिल हो गए। वह 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा सरकार में [१]विदेशमंत्री बने। विदेशमंत्री के तौर पर इराकी आक्रमण के बाद वह कुवैत संकट के दुष्परिणामों से निपटे, जिसमें हजारों भारतीय विस्थापित हो गए थे।वह 1998 में पंजाब के जालंधर से लोकसभा में अकाली दल के सहयोग से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुने गए। उनकी सरकार का विवादास्पद निर्णय 1997 में उत्तर प्रदेश में [२]राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करना था। तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने उस पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया और पुनर्विचार के लिए इसे सरकार के पास वापस भेज दिया। उनकी पत्नी शीला गुजराल कवयित्री और लेखिका थीं, जिनका निधन, 2011 में हो गया। उनके भाई सतीश गुजराल मशहूर पेंटर और वास्तुविद हैं उनके परिवार में दो बेटे हैं, जिनमें एक नरेश गुजराल राज्यसभा के सदस्य और अकाली दल के नेता हैं।
एचडी देवेगौड़ा की सरकार में गुजराल दूसरी बार विदेशमंत्री बने और बाद में जब कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया, तो 1997 में वह प्रधानमंत्री बने। लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह और अन्य नेताओं सहित संयुक्त मोर्चे की सरकार में गंभीर मतभेद होने के बाद वह सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उभरे। यह अलग बात है कि उनकी सरकार कुछ महीने ही चली, क्योंकि राजीव गांधी की हत्या पर जैन आयोग की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस फिर असंतुष्ट हो गई।
लोकसभा में गुजराल के निधन की सूचना देते हुए गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री 93 वर्षीय इंद्र कुमार गुजराल का निधन साढ़े तीन बजे गुडगांव के मेदांता हास्पिटल में हुआ। गुजराल के निधन की खबर के बाद दोनों सदनों को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।

निधन से पहले ही श्रधान्जली

झारखंड विधानसभा में आज पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के निधन के पहले ही सदन में उन्हें श्रृद्धांजलि दे दी गई।
राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कार्यवाही शुरू होने पर गुजराल के निधन के पहले ही विधानसभा में उन्हें श्रद्धांजलि दे दी गई। इसके बाद सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
श्री गुजराल को म्रदुभाषी + कुशल राजनयिक+ महान दार्शनिक+सज्जन राजनितिज्ञ माना जाता रहा है। गुजराल को उनके सिद्धांतों के कारण जाना जाता है। उनक तर्क था कि भारत को अपने पड़ोसियों के साथ उदारता से व्यवहार करना चाहिए। गुजराल का जन्म चार दिसंबर 1919 को झेलम (अविभाजित पंजाब) में हुआ था। स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से ताल्लुक रखने वाले गुजराल 1942 भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी जा चुके हैं।