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Tag: प्रभु का नाम

प्रभु का नाम नहीं जपा तो जीवन किसी काम का नहीं

 प्रभु का नाम नहीं जपा तो जीवन किसी काम का नहीं

प्रभु का नाम नहीं जपा तो जीवन किसी काम का नहीं

परम पूज्य स्वामी सत्यानन्द महाराज जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश.

मन तो तुम मैं रम रहा, केवल तन है दूर.
यदि मन होता दूर तो मैं बन जाता धूर.
भावार्थ: एक जिज्ञासु परम पिता परमात्मा को शुक्रिया अदा करते हुए कहता है कि हे प्रभु!! मुझ पर तुम्हारी कितनी अधिक कृपा है कि मेरा मन आपके सुमिरन में लगा हुआ है. मैं केवल तन से ही आपके पावन चरणों सेदूर हूँ परन्तु मेरा मन आपके चरणों की स्तुति में लगा हुआ है. यदि मेरा मन भी आपसे दूर होता तो में कुछ भी नहीं होता, मेरी स्थिति धूल के समान होती.

प्रभु ने यह मानव काया हमें उसका नाम लेने के लिए दी है अर्थात इस मानव जन्म का उद्देश्य नाम के जाप द्वारा प्रभु की
प्राप्ति करना है. यदि हमने सारा जीवन सांसारिक विषयों तथा माया में ही व्यर्थ कर दिया और प्रभु का नाम नहीं जपा तो
हमारा जीवन किसी काम का नहीं तथा हमारी काया की स्थिति धूल से ज्यादा नहीं है.

श्री रामशरणम् आश्रम ,
गुरुकुल डोरली , मेरठ,
प्रस्तुती राकेश खुराना

खाली माला फेरने से भगवत – प्राप्ति नहीं हो सकती Sant Kabir Das Ji Ki Vani

कबीर जपना काठ की , क्या दिखलावे मोय ।
ह्रदय नाम न जपेगा , यह जपनी क्या होय ।

Rakesh Khurana – Sant Kabir Das Ji Ki Vani


भाव : संत कबीर दास जी कहते हैं , हे मनुष्य ! तुम ये अपनी लकड़ी की कंठी क्या दिखला रहे हो , इससे तुम्हारा भला नहीं होने वाला ।अगर तुम्हे कुछ पाना है , कुछ हासिल करना है तो ह्रदय से प्रभु का नाम – भजन करो ,मन पर काबू रखना सीखो । खाली माला फेरने से तुम्हे भगवत – प्राप्ति नहीं हो सकती ।
संत कबीर दास जी
प्रस्तुति राकेश खुराना